रानीगंज की कब्र खोदकर ही मानेंगे कोयला माफिया
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रानीगंज अवैध कोयला खनन का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। रानीगंज बाजार से सटा हुआ रोनाई की अवैध खदानें अब रानीगंज के बरदही क्षेत्र तक पहुँच गयी है जिससे लोगों में चिंता बढ़ गयी है। रानीगंज पहले से ही धँसान प्रभावित क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।कई बार इसे खाली करवाने की कोशिशें भी हुयी है लेकिन स्थानीय लोगों के दवाब के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। रोनाई की अवैध खदानें जिस रफ्तार से रानीगंज बाजार की तरफ बढ़ रही है स्थानीय लोगों में बेचैनी बढ़ गयी है साथ ही पुलिस तथा नेताओं के प्रति भी आक्रोश सुलग रहा है।
रोनाई की अवैध खदानों को तुरंत नहीं रोका गया तो धँसान से गंभीर रूप से प्रभावित रानीगंज में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
प0 बंगाल का रानीगंज कोयलाञ्चल भारत का पहला कोलियरी क्षेत्र है और अपने में बहुत ही ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुये है। कभी नगरपालिका रहे रानीगंज क्षेत्र को आसनसोल नगर निगम में मिला दिया गया है। इसकी पहचान के लिए यहाँ के व्यवसायियों के काफी संघर्ष भी किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । अब तो इसके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। क्या पक्ष और क्या विपक्ष रानीगंज की अवैध कोयला खदानों पर कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। सब चुपचाप रानीगंज को धीरे-धीरे मिटते देखने के लिए शांत बैठे हुये हैं।
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इसके अलावा रानीगंज थानाक्षेत्र के अंतर्गत नोनिया नदी के किनारे अवैध कोयला खदानों के कारण नदी का अस्तित्व भी खतरे में है , जिस रफ्तार से नोनिया नदी के किनारे कटाई हो रही है वह एक बड़े खतरे को निमंत्रण दे रहा है। बरसात के दिनों में नदी में यदि कटाव हुआ तो आस-पास के कई गाँव इसके चपेट में आ जाएंगे। रानीगंज के डामरा क्षेत्र में स्थिति अधिक भयावह है ।
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