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टोटो पर सख्त हुआ परिवहन विभाग, बिना टिन नंबर वाले टोटो को चलने नहीं दिया जाएगा

पूरे जिले भर से टोटो की धर-पकड़ जोर-शोर से चल रही है। टोटो चालकों में बहुत ही निराशा का माहौल है। वे कभी नेता के पास जाते हैं तो कभी अधिकारी के पास, कभी सड़क जाम कर रहे हैं तो कभी धरना प्रदर्शन लेकिन इसका कुछ भी नतीजा नहीं निकल रहा है। टोटो चालक भी असमंजस में हैं कि करें तो क्या करें और आगे क्या होगा ? वे इस आस में उम्मीद लगाये बैठे हैं कि जल्द ही समस्या का कोई समाधान निकलेगा और उन्हें टोटो चलाने की अनुमति फिर से मिल जायेगी।

इसी बीच जिला परिवहन दफ्तर से जो खबर आयी है वह उन्हें निराश कर देगी। मंडे माॅर्निंग ने प. बर्द्धमान जिला आर.टी.ओ अधिकारी से इस बाबत जब जानकारी मांगी तो पहले तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया लेकिन बाद में उन्होंने विस्तार से पूरी बात इसलिए बतायी कि मंडे माॅर्निंग के माध्यम से सही जानकारी सभी तक पहुँचेगी।

वर्ष 2013 में टोटो को एक नंबर दिया गया था टिन नंबर है, हाई कोर्ट के फैसले का हो रहा इंतजार

आर.टी.ओ अधिकारी पुलक रंजन मुंशी ने बताया कि बिना ‘टिन’ नम्बर वाले टोटो को चलने नहीं दिया जायेगा। जब हमने पूछा कि ये ‘टिन’ नम्बर क्या है तो उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में विभाग द्वारा टोटो को एक नम्बर दिया गया था ‘टिन’ नम्बर है। उन्होंने यह भी बताया कि अब नये सिरे से किसी भी टोटो को ‘टिन’ नम्बर नहीं दिया जा रहा है।साथ ही उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार हो रहा है उसके बाद ‘टिन’ नम्बर वाले टोटो को अपना टोटो बदल कर ‘ई-रिक्सा’ लेना पड़ेगा और सड़कों पर केवल ई-रिक्सा ही चलेगी।

टोटो और ई-रिक्सा में फर्क है

आरटीओ जिला अधिकारी पुलक रंजन मुंशी

टोटो और ई-रिक्सा में फर्क समझाते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार उपकरणों के लिए आईएसआई मार्क होता है वैसे ही बैटरी चालित गाड़ियों के मानकीकरण के लिए कुछ संस्थायें हैं जो इन गाड़ियों को प्रमाणित करती है कि यह सुरक्षित है और इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।

कहने का मतलब हुआ कि टोटो और ई-रिक्सा में एक प्रमाण पत्र का फर्क है। आरटीओ पुलक रंजन मुंशी ने बताया कि हाई कोर्ट के फैसले आने के बाद से सड़क केवल ई-रिक्सा चलेगी और फिर जरूरत के मुताबिक गाड़ियों को ‘टिन’ नम्बर दिया जायेगा। जिसका मतलब यह हुआ कि जिस प्रकार अभी सड़कों पर टोटो की बाढ़ आयी हुई है उस पर लगाम लगेगी। सड़क की क्षमता , बाजार की भीड़भाड़ एवं यात्रियों के जरूरत के हिसाब से ही नये ई-रिक्सा को ‘टिन’ नम्बर दिया जायेगा।

एक अवैध उद्योग के रूप में विकसित हुआ टोटो

गौरतलब है कि मंडे माॅर्निंग ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित किया था कि किस प्रकार से टोटो एक बड़े उद्योग का रूप ले चुका है जिसमें सब कुछ अवैध ही है। कुछ पूंजीपतियों ने ढेर सारे टोटो खरीद कर उसे भाड़े पर चलने के लिए दे दिया है जिसके कारण बाजारों में अनावश्यक रूप से टोटो की बाढ़ आ गयी है और बाजार का यातायात भी इससे प्रभावित हो रहा है। पूरे जिले में सबसे खराब स्थिति रानीगंज बाजार की है और जिले में सबसे अधिक टोटो रानीगंज में ही है।

टोटो की बेतहाशा बढ़ती आबादी ने ट्रैफिक व्यवस्था के लिए एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी और इस पर अंकुश लगाने की मांग उठती रही है। दूसरी ओर मिनी बस चालकों ने भी टोटो के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी है। इन सबके बीच प्रशासन की टोटो धड़-पकड़ ने टोटो चालकों के लिए भी मुश्किल खड़ी कर दी है।

मंडे माॅर्निंग शुरू से ही टोटो की अवैध गतिविधियों पर रिपोर्टिंग करता आया है। आरम्भ से ही जिला प्रशासन ने टोटो को अनुमति नहीं दी थी और गाहे-बगाहे धड़-पकड़ होती ही रहती थी। कई टोटो शो-रूम पर छापे भी पड़ते रहे हैं। परंतु राजनीतिक संरक्षण में ढेर सारे टोटो सड़क पर उतार दिये गये, अब इन टोटो के बंद होने से ये टोटो चालक स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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Last updated: सितम्बर 10th, 2019 by News Desk Monday Morning
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