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बर्बाद हो चुके हिन्दुस्तान केबल्स की समाधि पर ये कैसा “अमृत महोत्सव”

गुलज़ार खान(सालानपुर) पता नही, अमृत की व्यख्या कैसे करें? पीने वाला शायद अमर हो जाता है। दादी नानी से ऐसी अनेकों कहानियाँ सुनने को मिली है।

किंतु असल जीवन में आज भी “अमृत” मात्र एक कल्पना ही है।
अपने देश की संपदा और धरोहर पर “आज़ादी की अमृत महोत्सव” लिखा देखकर गौरव की अनुभूति होती है।

भारतीय रेल, एयर इंडिया, ईसीएल अमूमन सभी सरकारी इकाईयों की कागजात पर आज “अज़ादी का अमृत महोत्सव अंकित है।

किन्तु वर्ष 2002 में पूर्ण रूप से उत्पादन ठप होने के बाद बंद कर दिए गए, पश्चिम बर्दवान जिला के सालानपुर ब्लॉक में स्थित रूपनारायणपुर हिंदुस्तान केबल्स आज़ादी का अमृत महोत्सव कैसे मना सकता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 सितंबर 2016 को ही हिंदुस्तान केबल से अमृत की प्याली छीन लिया था।
अलबत्ता रूपनारायणपुर इकाई, हैदराबाद इकाई और इलाहाबाद इकाई पर ताला लटका दिया गया।

किन्तु हिंदुस्तान केबल की वेबसाइट पर आज आज़ादी का अमृत महोत्सव सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है।

काश भारत सरकार ने हिंदुस्तान केबल्स को 2016 में अमृत पिला दिया होता तो, आज “मुर्दे के ऊपर जिंदा” ना लिखना पड़ता।

आज़ादी का अमृत महोत्सव की आधिकारिक यात्रा की शुरुआत 12 मार्च 2021 को हुई, जिसकी 75 सप्ताह के बाद स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के लिए शुरू हो गई जो 15 अगस्त 2023 को समाप्त हुआ।
विडंबना यह है की इस अवधि में हिन्दुस्तान केबल्स की चौखट पर कोई दिया तक जलाने वाला नही था।

ऐसे में गौरव की अनुभूति कैसे करें ?  ये बिलकुल वैसा ही होगा कि किसी की मौत पर बैंड बाजा बजाया जाए।

हिंदुस्तान केबल्स की स्थापना वर्ष 1952 में किया गया था, एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी थी जो भारत में दूरसंचार केबल बनाती थी ।

यह भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय के अधीन था। जिसका एक ईकाई अमृत के समान ही रूपनारायणपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्र को अमर और विकसित की श्रेणी में खड़ा कर दिया था।

किंतु वक्त के साथ ये विभूति अब धरोहर बन चुकी है। बड़ी बड़ी वीरान बिल्डिंग अब अस्तित्व की वियोग में खंडहर बनती जा रही है।

एचसीएल 1994 तक लाभदायक थी, लेकिन 1995 में घाटे में रहने लगी। कंपनी को औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के पास भेजा गया , जो इसे पुनर्जीवित करने में असमर्थ था।

एक समय कंपनी में 7,000 से अधिक कर्मचारी थे, लेकिन अगस्त 2006 तक यह संख्या आधी से भी कम रह गई और 2003 में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने ऑर्डर देना बंद कर दिया।

स्थिति की समीक्षा करने के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को लाया गया और नई उत्पाद श्रृंखला में विविधता लाने के लिए निवेश की सिफारिश की गई।

17 अगस्त 2006 को लोकसभा में एचसीएल के पुनरुद्धार पर बहस हुई।
2002 में मंत्रालय एचसीएल को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में विलय करने पर विचार कर रहा था ।

वर्ष 2011-13 में एचसीएल को रक्षा मंत्रालय को सौंपने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।

अच्छी प्रगति हुई है और संगठन का पुनर्गठन के लिए आईओएफएस अधिकारियों द्वारा इकाइयों का कई दौरा किया गया।

किन्तु बजट मंजूरी का अब भी इंतजार है। बताया जाता है की  कर्मचारियों का अठारह माह का वेतन अभी भी बकाया है।

अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है हिन्दुस्तान केबल्स पुनर्वासन समिति
हिन्दुस्तान केबल्स की डूबती नईया को बचाने और संघर्ष के लिए
हिन्दुस्तान केबल्स पुनर्वासन समिति का गठन किया गया।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजार से 1200 सौ परिवार ने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी किन्तु निराशा ही हाथ लगी।

हिन्दुस्तान केबल्स पुनर्वासन समिति के सेक्रेटरी सुभाष महाजन बतातें है की केंद्र की मोदी सरकार सरकारी संस्थानों को बेचकर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।

पूंजीपतियों का अरबों का कर्ज माफ़ किया गया किंतु हिंदुस्तान केबल्स को बचाने के लिए पैसा नहीं था।

आज पूरे इलाके को श्मशान घाट बनाकर वेबसाइट पर आज़ादी का अमृत महोत्सव लिख दिया गया है, इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है, देश की सजग जनता इसका जवाब जरुर देगी।

Last updated: अप्रैल 28th, 2024 by Guljar Khan
Guljar Khan
Correspondent : Salanpur/Chittranjan/Barabani (Pashchim Bardhman: West Bengal)
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