कितना सही है टोटो(ई रिक्शा) के खिलाफ बस हड़ताल….?
टोटो (ई रिक्शा) के विरोध में पिछले तीन दिनों से आसनसोल-रानीगंज के कोयलाञ्चल क्षेत्र में
सभी बसों के हड़ताल ने जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
इस क्षेत्र में चलने वाले सभी बसों से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।
इलाके में अवैध रूप से चल रहे टोटो(ई रिक्शा) के खिलाफ एकजुट हो गए हैं बस चालक
काफी दिनों से बस मालिकों की मांग है कि टोटो बंद किया जाये।
लेकिन प्राशासनिक उदासीनता के कारण वे भी लाचार थे।
एसडीएम के फैसले को नहीं माना
रानीगंज बाजार में बढ़ती ट्राफिक समस्या एवं बस मालिकों की शिकायत पर रानीगंज महकमा शासक
ने निर्देश दिया कि रानीगंज पंजाबी मोड़ से लेकर गिरजा पाड़ा रेलगेट तक टोटो परिचालन बंद किया जाये।
निर्देशानुसार विधिवत माइकिंग भी की गयी
लेकिन टोटो परिचालन होता रहा।
राजनीतिक संरक्षण बना बाधक
माना जाता है कि राजनीतिक खींचतान के कारण एसडीएम के निर्देश को लागू नहीं किया जा सका।
रानीगंज में फिलहाल दो गुट बन जाने की खबर है।
एक गुट टोटो का परिचालन चालू रखने के पक्ष में है
तो दूसरा गुट एसडीएम का निर्देश पालन करने के पक्ष में है।
एसडीएम के फैसले पर भी अमल नहीं होने से भड़क गया गुस्सा
एक तो रानीगंज बाजार में बेतहाशा टोटो से बस मालिक पहले से ही परेशान थे
दूसरे वे सरकारी उदासीनता से खिन्न थे ।
लेकिन जब एसडीएम के आदेश पर भी अमल नहीं किया गया तो उनका गुस्सा फूट पड़ा
और उनलोगों ने हड़ताल करने की ठान ली।
सरकार को भी मुश्किल में डाल दिया है टोटो ने
पूरे प0 बंगाल में टोटो को लेकर सरकार अभी तक उदासीनता ही दिखा रही है
जबकि आज टोटो एक उद्योग का रूप ले चुका है
एवं दिशानिर्देश के अभाव में ट्राफिक पुलिस को इससे निपटने में काफी परेशानी हो रही है।
राज्य सरकार पूरे मामले में टोटो(ई रिक्शा) का न तो समर्थन कर पा रही है और ना ही विरोध।
उद्योग का स्वरूप ले चुका है टोटो
कई बड़े पूंजीपति कमा रहे हैं मोटा मुनाफा
विगत दो वर्षों में टोटो कि संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
रानीगंज एवं आसनसोल क्षेत्रों में काफी वृद्धि दर्ज की गयी है।
टोटो बैटरी से चलने वाली आॅटो रिक्सा है।
इसे ई-रिक्सा के नाम से भी जाना जाता है।
आॅटो के विकल्प के रूप में ही इसका नाम टोटो रखा गया है।
वर्तमान समय में टोटो आमदनी का बहुत अच्छा जरिया बन गया है।
एक टोटो तकरीबन एक से डेढ़ लाख रुपये में आ जाता है।
वर्तमान समय में एक टोटो प्रतिदिन कम से कम पाॅच सौ से छः सौ की रुपये की कमायी कर लेता है।
जिसमें से करीब तीन सौ रुपये टोटो मालिक को जाता है एवं बाकी रुपये ड्राइवर के पास।
एक टोटो मालिक से पता चला कि औसतन प्रतिदिन पचास रुपये बिजली चार्ज के लगते हैं।
किसी भी अन्य व्यवसाय से काफी उपर है टोटो
आमदनी के हिसाब से देखें तो टोटो मालिक को मात्र एक से डेढ़ लाख के निवेश पर
ढाई सौ रुपये प्रतिदिन के दर से महीने में साढ़े सात हजार की आमदनी हो जाती है।
औसतन साढ़े सात प्रतिशत मासिक और नब्बे प्रतिशत वार्षिक।
प्रतिशत के लिहाज से यह किसी भी अन्य व्यवसाय से काफी उपर है।
यदि एक टोटो की न्यूनतम आयु तीन वर्ष भी माने तो पूंजी काटकर यह करीब दोगुना रिटर्न दे रहा है ।
यही वजह है कि शिल्पांचल के कई बड़े पूंजीपतियों ने एक साथ कई टोटो खरीदकर
उसे किराये पर दे दिया है एवं घर बैठे मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
और उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक कुछ पूँजीपतियों के पास 200 से 300 तक टोटो है।
ई रिक्शा पर सरकारी नीति का है अभाव
टोटो परिचालन ने अब एक उद्योग का रूप ले लिया है
वह भी ऐसा उद्योग जिसमें सरकार को एक रुपया भी कर नहीं चुकाना होता है।
अन्य वाहनों की तरह न तो इसका पंजीकरण होता है,
न किसी प्रकार रोड टैक्स और न कोई टैक्स टोकन कटता है।
और तो और इसे चलाने के लिए किसी ड्राइविंग लाइसेंस की भी आवश्यकता नहीं।
इसके अलावा कई टोटो मालिक इसका बैटरी भी घरेलु मीटर से ही चार्ज करते हैं ।
इसमें कोई संदेह नहीं टोटो वर्तमान समय की जरूरत है
परंतु किसी नीति के अभाव में कई लोग मोटा मुनाफा कमा रहे हैं एवं सरकार के हाथ कुछ नहीं लग रहा है।
अनिवार्य नहीं है टोटो का पंजीयन
30 अगस्त 2016 को जारी के नोटिफिकेशन में
ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने घोषित कर दिया कि ई रिक्शा के लिए पंजीयन अनिवार्य नहीं है।
साथ ही राज्य सरकारों को अधिकार भी दे दिया कि वे
इससे संबन्धित अन्य दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं।
ट्राफिक समस्या बन गया है टोटो
रानीगंज – आसनसोल में टोटो एक ट्राफिक समस्या गया है।
टोटो की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। बसों की तरह इसका कोई स्टोपेज नहीं है।
जिस कारण कहीं भी यात्री चढ़ाने और उतारने के कारण अक्सर बाजार में ट्राफिक जाम लग जाता है।
रानीगंज बाजार में तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
काफी युवाओं को रोजगार भी मिला है
टोटो ने यदि कुछ समस्याएँ उत्पन्न की है तो
इससे काफी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिला है
यही कारण है कि सरकार और स्थानीय सत्ताधारी दल भी टोटो को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।
जरूरी भी है टोटो
नियम चाहे जो हों लेकिन टोटो ने आम लोगों की जिंदगी को आसान बना दिया है।
टोटो ने रिक्शे को सड़क से दूर कर दिया है।
कई रिक्शा चालकों को भी आप आसानी से टोटो चलाते देख सकते हैं।
रजत कुमार बताते हैं कि अब बस के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है। टोटो हर जगह मिल जाता है।
जबकि इसी बात पर बस मालिकों ने हड़ताल की है।
अधिक पैसे देकर भी संतुष्ट होते हैं सवारी
न्यूनतम किराए के रूप बस जहां 7 रुपये लेते हैं वहीं टोटो यात्री से 10 रुपया लेते हैं।
अधिक किराया देकर भी सवारियों को इस बात की संतुष्टि रहती है कि उन्हें खड़े होकर सफर नहीं करना पड़ेगा।
सुनीता शर्मा बताती है कि थोड़ी दूर जाने के लिए बस के बजाय वो टोटो में ही जाना पसंद करती हैं।
छोटी दूरी के लिए टोटो वरदान के रूप में उभरा है
गली – मुहल्लों के सफर के लिए पहले रिक्शे पर निर्भर रहना पड़ता था।
टोटो (ई रिक्शा) लोगों को रिक्शे की तुलना में अधिक किफायत और अच्छा सवारी लगा है।
बदलाव ही समय की मांग है
इसमें कोई संदेह नहीं कि टोटो एक पर्यावरण अनुकूल सवारी है।
आज जब वायु प्रदूषण की बात करते हैं तब टोटो सरीखे सवारियों की जरूरत महसूस होती है।
टोटो ध्वनि प्रदूषण से भी यात्री को बचाता है।
कुछ नियम बनाए जाने चाहिए जिससे लोगों को प्रदूषण रहित सवारी की सुविधा मिलती रहे और किसी को कोई परेशानी न हो
- टोटो गली-मुहल्ले और कम व्यस्त सड़कों के लिए ही उपयोगी है।
- अधिक व्यस्त सड़कों पर टोटो चलाने पर रोक होनी चाहिए।
- सड़कों पर टोटो की संख्या पर नियंत्रण होना चाहिए।
- राजनीतिक हस्तक्षेप से टोटो मुक्त होकर सरकारी नियंत्रण में होना चाहिए।
- टोटो सरीखी बड़ी और टिकाऊ ई रिक्शा को पब्लिक ट्रासपोर्ट में भी इस्तेमाल करना चाहिए ।
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