बीसीसीएल द्वारा संचालित डेको आउटसोर्सिंग में काम शुरू,कतरीनदी में बांध निर्माण से ग्रामीणों में आक्रोश
बिना मुआवजा व पुनर्वास के काम नहीं होने देंगे:-स्थानीय ग्रामीण व रैयत
धनबाद/कतरास। बीसीसीएल कतरास क्षेत्र के चैतूडीह कोलियरी के लकडका में सोमवार को आउटसोर्सिंग कंपनी की पोखलेन मशीन फिर से काम में जुट गई। कतरास के लोगों की प्राणदायिनी कतरीनदी के ऊपर पाइप डालकर बांध बंधने का काम दोबारा शुरू होने से स्थानीय ग्रामीणों मैं काफी रोष और गुस्सा है। कतरास नगर निगम के पाँच नंबर वार्ड में आता है यह बस्ती कुछ दिन पूर्व भी ग्रामीणों के विरोध के कारण कार्य को बंद कराया जा चुका था। ग्रामीणों का कहना है जब तक मुआवजा व नियोजन नहीं मिलता है काम नहीं होने देंगे। लकडका नीचे बस्ती के हजारों आबादी को यहाँ रहना मुश्किल हो गया है दरार व भू धँसान व जहरीली गैस से लोगों का रहना मुश्किल हो है।
क्या कहते है ग्रामीण:-
छोटे लाल रजवार ने बताया कि बीसीसीएल व आउटसोर्सिंग कंपनी मनमानी पर उतर गए है। इससे पहले जब हिलटॉप आउटसोर्सिंग कंपनी थी तब से लड़ाई चल रही है अभी तक निष्कर्ष नहीं निकला है। बीसीसीएल ने नोटिस तो दिया था लेकिन पुनर्वास व मुआवजा नहीं दिया।
भरत रजवार: जब भी हम लोग आवाज उठाते है तो उन्हें झूठे केश में फंसाने की धमकी मिलती है। सत्ताधारी दल व विपक्ष के नेता के लोग अपनी स्वर्थ में लगे हुए है हम लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
विनोद रजवार ने बताया कि हम लोग जान जोखिम में डाल कर मौत के मुँह में रहते है जब भी बारिश होती है घर मकान जमींदोज होने लगती है। कोरोना काल के कारण हम लोग शांत है ।कंपनी रैयतों को पुनर्वास, उचित मुआवजा देने का काम करे नहीं तो कंपनी को विरोध का सामना करना पड़ेगा।
प्रमिला देवी ने बताया कि कई वर्षों से रह रहे है जब भी आउटसोर्सिंग कंपनी ब्लास्टिंग करती थी तो पूरा घर हिलने लगता था। हम लोग घर से बाहर ही रहते है ना जाने कब पूरा घर ही गिर पड़े। किसी भी समय कोई अप्रियकर घटना घट सकती है। कंपनी के लोग पहले आकर वार्ता करें नहीं तो आउटसोर्सिंग कंपनी को काम नहीं करने दिया जायेगा। इसके अलावे भी कई लोगों ने खुलकर विरोध किया।
आउटसोर्सिंग कंपनियाँ सरकारी मापदंड का नहीं कर रही है पालन
डेको आउटसोर्सिंग कंपनी पर्यावरण के साथ कर रही है छेड़छाड़।कतरास की धरोहर कतरीनदी के अस्तित्व को मिटाने का किया जा रहा है काम बीच में जल के बहाव को रोकने से इसका आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ेगा। कतरीनदी के जल को आज भी रेलवे के लोगों को पीने योग्य बनाकर सप्लाई की जाती है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में जलसंकट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। पर्यावरण की प्रभुता एवं असीमता के साथ भी छेड़छाड़ हो रहा है।
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