उत्तम आनंद हत्याकांडः आरोपी राहुल वर्मा व लखन वर्मा के विरुद्ध हत्या व साक्ष्य मिटाने का चलेगा मुकदमा
धनबाद। जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की हत्या के आरोप में जेल में बंद आटो चालक राहुल वर्मा व लखन वर्मा के विरुद्ध हत्या व सबूत मिटाने का मुकदमा चलेगा। मंगलवार को सीबीआइ के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी व एसडीजेएम अभिषेक श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी ऑटो चालक लखन वर्मा और उसके सहयोगी राहुल वर्मा के खिलाफ हत्या करने एवं साक्ष्य छुपाने का आरोप प्रथम दृष्टया सत्य मानते हुए संज्ञान लिया। सीबीआइ की दलील सुनने के बाद दोनों के विरुद्ध हत्या व साक्ष्य मिटाने की धारा में संज्ञान लिया। दोनों आरोपी घटना के बाद से ही न्यायिक हिरासत में हैं।
सीबीआई दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने 20 अक्तूबर को आरोपियों के खिलाफ हत्या करने एवं साक्ष्य छुपाने का आरोप लगाते हुए अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल किया था। बाद में अदालत ने सीबीआई को मामले की संपूर्ण केस डायरी न्यायालय में जमा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट के आदेश पर सीबीआई की टीम ने एक बड़े बैग में केस डायरी तथा तमाम साक्ष्य को भरकर अदालत के समक्ष पेश किया था। साक्ष्यों एवं केस डायरी का अवलोकन करने के बाद अदालत ने आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया है, दोनों के खिलाफ हत्या और साक्ष्य छुपाने की धारा में मुकदमा चलेगा। जल्द ही केस का दौरा सुपुर्द कर ट्रायल शुरू किया जाएगा। इस मामले में सीबीआई का अनुसंधान अभी जारी है। सीबीआई ने पूरक चार्जशीट सौंपने का संकेत भी दिया है।
28 जुलाई, 2021 को धनबाद के जज उत्तम आनंद की मृत्यु आटो का धक्का लगने से हो गई थी। बाद में सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि जानबूझकर धक्का मारा गया। इसके बाद मामले की जाँच सीबीआइ को सौंप दी गई। 77 दिनों तक जाँच करने के बाद सीबीआइ ने 20 अक्टूबर को अदालत में चार्जशीट सौंपी थी। चार्जशीट में सीबीआइ ने यह दावा किया था कि आटो चालक लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा ने हत्या करने की नियत से जानबूझकर मार्निंग वाक कर रहे जज उत्तम आनंद को आटो से धक्का मारा, ताकि उनकी मौत हो जाए। चार्जशीट के मुताबिक राहुल वर्मा पेशेवर चोर है जो पहले भी मोबाइल चोरी के केस में जेल जा चुका है, आटो पर ड्राइवर लखन का पूरा कंट्रोल था। रोड पर उस वक्त कोई ट्रैफिक नहीं थी, इसलिए आटो को अचानक बायीं और मोडऩे का कोई कारण नहीं था। धक्का मारने के बाद भी आटो की गति 23 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कम नहीं हुई जो एक साधारण व्यक्ति के स्वभाव के विपरीत है। चार्जशीट में सीबीआइ ने दावा किया था कि दोनों घटना के वक्त नशे में नहीं थे। आरोप पत्र पर मंगलवार को सीबीआइ की विशेष अदालत में सुनवाई हुई। अदालत में दोनों आरोपियों पर हत्या और साक्ष्य मिटाने का मामला चलाने की अनुमति दे दी।
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