रैंबो के ग्रामीणों ने हिरण के बच्चे को कुत्तों से बचाकर वन विभाग को सौंपा
वन विभाग के रेंज कार्यालय से 25 किमी दूर डेबो पंचायत के ग्राम रेंबो कर्मा से घायल अवस्था में ग्रामीणों के द्वारा मंगलवार को बारहसिंघा हिरण उर्फ चितल हिरण वन विभाग कर्मियों को दिया। ग्रामीणों ने वन कर्मियों को बताया था कि लावारिश कुत्तों ने हिरण को घेर कर हमला कर दिया था। जिससे बारहसिंघा हिरण का बच्चा घायल हो गया था। गांव के कुछ बुद्धिजीवियों को पता चला तो आनन फानन में युवकों के द्वारा कुत्तों को खदेड़ कर हिरण को कब्जे में किया और वन विभाग कर्मियों के हवाले किया। वन कर्मी हिरण को चिकित्सक के पास ले गया। चिकित्सक ने इलाज कर बारीकी से जांच कर बताया कि कुत्ता के हमले से पूर्व किसी के द्वारा उसे पकड़ने और मारने का प्रयास किया था। वन कर्मियों ने रैंबो कर्मा के लोगो को सुक्रिया कहते हुए कहा कि यह प्रजाति विशेष कर चौपारण क्षेत्र से विलुप्तावस्था में था। एक बच्चा दिखने और ग्रामीणों द्वारा अहम भूमिका निभाते हुए बचा कर वन विभाग के हवाले किया। जिसे सुरक्षित रेस्क्यू करते हुए वन विभाग की टीम बरही पशु चिकित्सालय में पूर्ण रूप से चिकित्सा उपलब्ध कराने के पश्चात नेशनल पार्क हजारीबाग में सुरक्षित छोड़ दिया। वन कर्मियों ने बताया कि पानी की तलाश में अक्सर गर्मियों में जंगली जानवर गांव की ओर निकलते हैं। जिसमें अधिकतर लोग शिकार कर लेते हैं। मालूम हो कि गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयणी हर वर्ष करोड़ो रुपया खर्च कर जंगली पशु-पक्षियों के लिए चेकडैम, तालाब सहित अन्य सुविधा बनाता हैं। जंगली पशु गांव की तरफ प्यास बुझाने के लिए आते हैं, तो इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकतर पानी की सुविधा फाइलों में तैयार कर केंद्र व राज्य के राजस्व का बंदरबांट कर लिया जाता है।
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