185 वर्ष पुरानी रथ यात्रा की परम्परा इस वर्ष भी मात्र पूजा कर हुई सम्पन्न, नहीं लग सका साप्ताहिक मेला
रानीगंज । शिल्पाँचल कोयलाञ्चल का सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक सियार सोल राजबाड़ी रथ यात्रा का रस्सी इस वर्ष भी कोरोना महामारी की वजह से नहीं खींची गई। 185 वर्ष पुरानी परम्पराइस रथ यात्रा के अवसर पर लगने वाले सप्ताह व्यापी मेला इस वर्ष भी बंद कर दी गई । राजघराना की ओर से मालिया परिवार द्वारा आयोजित होने वाली इस मेला को लेकर जहाँ विशेष उत्साह और प्राचीन सभ्यता संस्कृति का स्वरूप देखने को मिलती थी। उस पीतल के रथ को आज पूजा अर्चना मात्र कर रथ को बांस के ब्रैकेट से घेर दी गई है । दर्शनार्थी यहाँ मात्र दर्शन के लिए आए । पूरा राज वारी इलाका इस मेले को लेकर रंग मैं रंग जाया करता था। पूरा इलाका मेले में तब्दील हो जाया करता था । कोरणा महामारी की वजह से मेले नियम के तहत पूरी प्रक्रिया पूरी की गई, लेकिन राजघराना में राधा गोविंद के मंदिर में पूजा अर्चना भी की गई।
सूत्रों के मुताबिक 18 36 साल में जमींदार एवं राजघराना परिवार के वरिष्ठ सदस्य गोविंद प्रसाद पंडित ने इस मेले का शुभ आरंभ किए थे। इस अंचल में उस वक्त आसपास के इलाके में कहीं भी इस प्रकार की बरी मेला नहीं लगाया जाता था। इसलिए इस मेले का महत्त्व विशेष था और आषाढ़ मांस में होने की वजह से पूरे ग्रामीण अंचल के लोग इस मेले में आते थे और खेती बारी के लिए प्रसिद्ध यह मेला में मनोरंजन के साथ-साथ बंगाली परंपराएं तरीक की भोजन सामग्री आदि यहाँ उपलब्ध होती थी।
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