आखिर किस गुटबाजी का शिकार हो गए थे शिवदासन दासु , जिले का को-ओर्डिनेटर बनाए जाने पर लौटी खुशी
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद तृणमूल कॉंग्रेस पश्चिम बर्धमान जिलाध्यक्ष का पद छिन कर जितेंद्र तिवारी को दिये जाने से लगभग हासिए पर चले गए वी. शिवदासन दासु एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं ।
सोमवार को कोलकाता में हुये तृणमूल की बैठक में कई निर्णय लिए गए जिसमें से एक शिवदासन दासु को जिले का को-ओर्डिनेटर बनाया जाना है । खबर बाहर आने के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गयी ।
शिवदासन दासु ने भी फेसबुक पोस्ट कर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया । उनके कार्यालय में समर्थक बधाई देने के लिए एक बार फिर से जुटने लगे जो पिछले कुछ महीने से बंद हो गए थे । सोशल मीडिया में सक्रिय रहने वाले शिवदासन दासु जिलाध्यक्ष पद जाने के बाद से ही हासिए पर थे । हालांकि इस बीच तृणमूल के दीदी को बोलो कार्यक्रम में गाहे बगाहे भाग ले रहे थे लेकिन पहले वाली सक्रियता दिख नहीं रही थी ।
जिले का को-ओर्डिनेटर बनाए जाने के बाद एक बार से उनमें वही जोश और खुशी झलक कर बाहर आने लगी है ।
गौरतलब है कि पश्चिम बर्धमान जिला और विशेषकर आसनसोल लोकसभा क्षेत्र तृणमूल के आपसी द्वंद का लंबे समय से गवाह रहा है । जैसे – जैसे जितेंद्र तिवारी का कद पार्टी में बढ़ता गया वैसे-वैसे पहले से स्थापित नेताओं का कद घटता चला गया और यहीं से शुरू हो गया आपसी खींचतान ।
शीर्ष नेतृत्व स्वयं ही गुटबाजी को बनाए रखती है
हालांकि तृणमूल कॉंग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी कोई नयी बात नहीं है । शीर्ष नेतृत्व स्वयं भी इस गुटबाजी को बनाए रखते हैं । एक बार शिवदासन दासु ने स्वयं ही इसका खुलासा किया था ।
पार्टी सम्मेलन में एक नेता के सवाल पर शिवदासन दासु ने कहा था कि पार्टी कभी भी किसी एक नेता पर निर्भर नहीं रहेगी । यदि उस एक नेता ने पार्टी छोड़ दी तो ऐसे में पार्टी ही खत्म हो जाएगी ।
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