प्योर बोर्रागढ़ का यह छठ घाट का तालाब आज भी अपने लिए पानी की तलाश कर रहा हैँ
एक बार भाजपा के शासन काल में यह प्योर बोर्रागढ़ का छठ घाट का तालाब बना काम वहीँ ढाक के तीन पात के बराबर, अब पुनः एक बार यह छठ घाट का तालाब बन रहा हैँ और काम वहीँ जो पिया मन भाए वाली कहावत यहाँ भी दिखाई दे रही हैँ हम बात कर रहे हैँ इस अनोखे छठ तालाब की तो अनोखा इस छठ घाट को क्यों कहा जा रहा है तो आइये इसको समझने और जानने की कोशिश करते हैँ भाजपा के शासन काल में यह आधा अधूरा तालाब बना आधा अधूरा इसलिए की इसमें पानी नहीं टिकता हैँ, अब पुनः यह तालाब सुर्खियों में हैँ क्योंकि एक बार यह तालाब पुनः कांग्रेस के शासन काल में बन रहा हैँ किन्तु वहीँ रोना इस बार भी हैँ आधा तालाब को फिर से जोड़ा जा रहा हैँ और इतना बरसात हो रही हैँ और पानी इसमें नहीं हैँ तो आप इसे आधा अधूरा ही काम कह सकते हैँ और जनता के मन में कई बातें उठ रही हैँ कई लोग विरोध कर रहे हैँ और कई लोग ठेकेदार को कोस रहे हैँ की केवल तालाब को गोलाकार बना देने से पानी नहीं रहेगा उसके लिए तालाब को ढालना ही एक विकल्प हैँ, खैर समस्याए हैँ तो उनका निदान भी हैँ किन्तु कार्य ऐसा हो की किसी का नाम हो ना की किसी के मान और सम्मान के साथ आगे उन्नीस बीस हो काम करने वाले तो करके चले जायेंगे किन्तु मुद्दा तो वहीँ रहेगा की यह छठ घाट का तालाब दो दो बार बना किन्तु पानी किधर रहेगा इस कार्य को लेकर इंजीनियर उमेश महतो से बात करने की कोशिश की गई किन्तु वे फ़ोन नहीं उठाये तभी तो प्योर बोर्रागढ़ की जनता भी इस तरह के काम से कतई भी ख़ुश नहीं हैँ एक बार स्वयं झरिया विधायक इस कार्य का संज्ञान लेकर आगे निर्देश दें जिससे की यह छठ घाट का तालाब सही रूप में बन पाए, अन्यथा आम जनता तो यही कहेँगे की काम तो हुआ किन्तु सही नहीं हुआ हैँ,,,,,संवाददाता श्रीकांत कुमार
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