एक ही क्वार्टर तीन कर्मियों के नाम आवंटित कर दिया गया, विवाद बढ़ा तो जीएम ने क्वार्टर ही तुड़वा दिया
लोयाबाद कोलियरी अंतर्गत मोड़ पर अवस्थित विवादित 395 व 396 नंबर के क्वार्टर को जीएम के निर्देश पर मंगलवार को स्थानीय कोलियरी प्रबंधन के द्वारा तोड़ दिया गया। कोलियरी के पीओ ए के सिंह के द्वारा उक्त आवास को तीन-तीन कर्मियों को आवंटित कर दिये जाने के कारण विवाद उत्पन्न हो गया था। इस आवास को लेकर यूनियन प्रतिनिधि भी सामने थे।
एक ही क्वार्टर तीन कर्मियों के नाम आवंटित कर दिया गया था
लोयाबाद कोलियरी में कार्यरत सपोर्ट मिस्त्री राधेश्याम के आवास नंबर 395 व 396 को सबसे पहले निचितपूर कोलियरी में कार्यरत दुःखनी कुंई नामक महिला कामगार के नाम से आवंटित किया । इसके बाद बांसजोडा कोलियरी के महिला कर्मी कुंती देवी तथा फिर वेस्ट मोदीडिह कोलियरी के कर्मी राजेश सिंह के नाम से आवंटित कर दिया।30 जून को राधेश्याम के सेवानिवृत्ति होने के जब लोगों उससे संपर्क किया तो पता चला कि कोलियरी के पीओ ए के सिंह के द्वारा तो तीन तीन कर्मियों को आवंटित कर दिया गया है।
विवाद बढ़ा तो जीएम ने क्वार्टर ही तुड़वा दिया
कर्मी जिस श्रमिक संगठन से जुड़े थे उसके प्रतिनिधि को जानकारी दी। प्रतिनिधियों ने पीओ इस बाबत जब पूछ-ताछ की तो धीरे यह मामला तूल पकड़ लिया। जीएम के सामने ही श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि आमने-सामने हो गये। खूब गर्मागर्मी बहस हुई। जीएम ने उक्त क्वार्टर को आवंटित को किसी कर्मी को आवंटित करने के बजाय कोलियरी प्रबंधन को ध्वस्त करने का निर्देश दिया।
आवास के जर्जर होने का बताया कारण
जीएम ने बताया कि आवास जर्जर था इसलिए उसे ध्वस्त कर दिया गया लेकिन जीएम से इस संबंध में और प्रश्न किया गया तो जवाब देने के बजाय फोन काट दिया गया। लोयाबाद कोलियरी पीओ का कहना था कि विवादित आवास होने की वजह से ध्वस्त किया गया। इसके बाद उन्होंने भी किसी सवाल का जवाब नहीं दिये। अब सवाल उठता है कि जब आवास जर्जर था तो पहले उसे तोड़ने की कोई नोटिस क्यों नहीं थी , विवाद बढ्ने के बाद ही क्यों तोड़ा गया । जब आवास जर्जर था तो इसे तीन कर्मियों को कैसे आवंटित कर दिया गया ।
आरसीएमएस नेता रामप्रीत यादव का कहना है कि कोलियरी पीओ एके सिंह किस आधार पर एक ही क्वार्टर को तीन तीन कर्मियों के नाम से आवंटित कर दिया गया। यह जाँच कर वरीय प्रबंधन उनके खिलाफ कार्यवाही करे।
उन्होंने कहा कि पूरा आवास को ध्वस्त करने की बात है। पीओ किस कर्मी को लाभ पहुँचाने के लिए सिर्फ खानापूर्ति करने का काम किया है। अगर पूरी तरह से ध्वस्त नहीं किया गया तो वह इस मामले मुख्यालय तक ले जाएँगे।
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