मेरी बात, भैंस पर बचपन
इस टॉपिक को लिखने से पहले में सोंच रहा था कि किया यह शब्द इस फोटो के साथ उपयुक्त रहेगा या किसी और टॉपिक के साथ दूसरे तरह से भी हम इस बात को समझ सकते हैं, कहने को तो गवर्नमेंट बहुत से कार्यक्रम सिक्षा और कई बाल मुद्दों पर लेकर आती हैं या ये कहें कि कई कार्यक्रम शिक्षा के प्रचार और प्रसार हेतु चला रही हैं, किन्तु यह तस्वीर बहुत कुछ बयान कर रही हैं कि कैसे बचपन और पढ़ाई अवरुद्ध हो रहा हैं मेरी मनसा किसी सरकार को दोष देने का नहीं हैं, अपितु उन योजनाओं से हैं जो कि सिर्फ कहने मात्र के लिए ही बनती और बनाइ जाती है।
आज का बचपन क्या इतना कमजोर हो गया हैं कि इनके मासूमियत पर एक तरह से गंभीर सवाल कि मौजूदगी का आभास हो रहा हैं, सरकार कई तरह से भी इनके विलुप्त हो रहे बचपने को सवार सकती हैं जरूरत हैं, दृढ इक्षाशक्ति कि तब जाकर इनके और इनके जैसे कई बच्चों का भाग्योदय हो पायेगा, आज सरकारी विद्यालय में सरकार के द्वारा कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, किन्तु फिर भी आजतक इन जैसों का उद्धार ना होना अपने आप कई तरह के सवाल को जन्म देता हैं, कब इन जैसों का बचपन सुधरेगा वैसे सरकार को भी इसपर ध्यान देने कि आवश्यकता हैं, क्योंकि आज के बच्चे ही कल के आनेवाला भविष्य हैं अन्यथा वो दिन दूर नहीं होगा जब बच्चे तो काफी होंगे किन्तु सबों में कौशल कि कमी होगी: अरुण कुमार ।
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