मजदूर दिवस: कोरोना काल में भी नहीं मिला सुरक्षा किट, सुरक्षा के लिए मिलने वाले जूता-टोपी तक से मरहूम
धनबाद । एक मई विश्व मजदूर दिवस है. मजदूरों ने अपने हक की लड़ाई के लिए शिकागो में आंदोलन की शुरूआत की थी जो पूरे विश्व में लड़ी गयी। इस दौरान कई मजदूर शहीद भी हुए. लेकिन आज भी मजदूरों को उनका सम्मान और हक नहीं मिला है. मजदूर अपना काम कर रहे हैं कल-कारखाने फैक्ट्रियाँ सारे उद्योग मजदूरों की बदौलत हैं कोरोना के समय भी मजदूर ही तो करोना कीट बनाने में लगे हैं या फिर अस्पतालों की साफ सफाई में लगे हैं।
यही नहीं मजदूर हैं तो पावर प्लांट से हमें बिजली भी उपलब्ध हो रही है. हम बात करें कोलियरी क्षेत्रों के मजदूरों की तो मजदूर तो अपना काम कर रहे है। कोयला उत्खनन से लेकर लोडिंग और डिस्पैच तक कर रहे हैं। कोयले का उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन मजदूरों को आज भी सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए हैं। यहाँ तक की, कोरोना काल में भी काम कर रहे मजदूरों के लिए ना तो मास्क ना सैनिटाइजर हैं।
धनबाद कोयलाञ्चल में लाखों मजदूर अपनी कड़ी मेहनत से कोयला उत्पादन में लगे हैं
एक ओर हजारों मजदूर भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में कार्यरत हैं तो वहीं दूसरी ओर ठेका मजदूर जो प्रतिदिन की हाजिरी पर काम करते हैं और मजदूरों की मेहनत से आज कोयले का उत्पादन और डिस्पैच हो रहा है। मजदूर काम कर रहे हैं लेकिन इनके पास न जूता न ही टोपी है। यहाँ तक कि सैकड़ों-हजारों मजदूर एक साथ काम करते हैं, लेकिन ना जिला प्रशासन ना बीसीसीएल न ही आउट सोसिंग कंपनी ही इन मजदूरों को मास्क, सैनिटाइजर या हैंड गलब्स व्यवस्था की है। ऐसे में हजारों मजदूरों के संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन बीसीसीएल के अधिकारी हो या आउटसोर्सिंग कंपनियाँ हो मजदूरों से सिर्फ काम लेना जानते हैं, उनकी सुरक्षा का ध्यान किसी में नहीं है।
मजदूर नेता बिंदा पासवान ने कहा कि बीसीसीएल, जिला प्रशासन या फिर आउट सोसिंग कंपनी, सभी मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी कर रहे हैं।
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