ग्रामीणों के भारी विरोध के बीच शुरू हुआ डिस्पैच, तनाव बरकरार
ईसीएल के तहत चलने वाली कनस्टोरिया एरिया के बांसड़ा ओसीपी में काफी मशक्कत के पश्चात आज से डिस्पैच शुरू की गई । मंगलवार के सुबह 9:00 बजे से बाँसरा ग्राम के ग्रामीणों ने इस ओसीपी को बंद रखा हैं। आरोप है कि ब्लास्टिंग से दर्जनों घर में दरारे पड़ गई है। जान माल को खतरा है, ईसीएल प्रबंधन की ओर से अधिकारिक तौर पर कोई भी अपना वक्तव्य देने में इंकार करते हैं ।
पूरे वैज्ञानिक पद्धति से ही यहाँ उत्पादन की जाती है
यहाँ कार्यरत एजेंट एस. मुखर्जी ने बताया मैं किसी भीबहस में नहीं जाऊँगा । हम लोग ग्रामीणों की सुविधाओं को देखते हुए कदम उठा रहे हैं और रही बात अवैज्ञानिक तरीके से उत्पादन करने की ऐसा नहीं है । पूरे वैज्ञानिक पद्धति से ही यहाँ उत्पादन की जाती है, इसके बावजूद भी दोनों पक्षों की ओर से वार्तालाप जारी है, मुझे विश्वास है कि दो-तीन दिन में पूर्ण सुचारु रूप से उत्पादन शुरू हो जाएगी। घटनाक्रम को देखते हुए काफी संख्या में सुरक्षा बल को यहाँ तैनात की गई है। डिस्पैच जारी है।
इस ओसीपी की वजह से मांझी पाड़ा गाँव पूरी तरह से नष्ट हो रहा है
स्थानीय नेता ग्रामीणों की ओर से संजय हेम्ब्रम ने बताया कि हम लोग उत्पादन का विरोधी नहीं है, कोयला उद्योग चले लेकिन जनमानस की समस्या को भी प्रबंधन को देखनी होगी। इस ओसीपी की वजह से मांझी पाड़ा गाँव पूरी तरह से नष्ट हो रहा है। यह एक आदिवासी ग्राम है, आदिवासी को बचाने के लिए जहाँ पूरा देश काम कर रही है ऐसे में ईसीएल प्रबंधन आदिवासी की समस्याओं को दरकिनार कर उत्पादन कर रही है। पिछले 6 महीनों से हम लोगों ने ओसीपी खुलने के पश्चात से ही यहाँ की समस्या से अवगत कराया था। आज गाँव में पानी नहीं है। धूल डस्ट से पूरा ग्राम प्रदूषण के शिकार हो जाता है। ब्लास्टिंग के दरमियान पूरा इलाका दहल उठता है। लोग घर से निकल कर बाहर ब्लास्टिंग के दरमियान घर के अंदर कोई सोता तक नहीं है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आदिवासी लोग कितने असुरक्षित हैं, हम लोग चाहते हैं कि दोनों पक्षों से पूरी जाँच-पड़ताल हो।
ग्रामीणों के आंदोलन के कारण उत्पादन हो रहा प्रभावित
सूत्रों के मुताबिक इस ओसीपी से प्रत्येक दिन 2000 टन कोयले का उत्पादन होता है और बीते वर्ष के आखिरी महीने से इस प्रकार के आंदोलन से काफी क्षति हो रही है लेकिन प्रबंधन शक्ति पूर्वक कोई भी कदम उठाने में परहेज कर रहे हैं और कोई भी राजनेता श्रमिक संगठन यहाँ नहीं आ रहे हैं, इसकी वजह है कि सामने लोकसभा चुनाव है। यही वजह है कि मझधार में यह ओसीपी फंस गई है।
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