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इमाम इमदादुल्ला को पुरस्कृत करने का राज्य सरकार ने किया एलान

इसे मुद्दा ना बनाए

आसनसोल -पूरा शहर हिंसा की चपेट में था, हर तरफ लोग दहशत में और खौफजदा थे. उसी वक्त एक नौवजवान की लाश बरामद होती है और पूरा शहर फिर से हिंसा की आगोश में समा जाने को आतुर हो उठता है. लेकिन भीड़ से एक आवाज आती है, कृपया आपलोग अमन और शांति बनाए रखे, वर्ना मैं यह शहर छोड़कर चला जायूँगा, मैंने अपना बेटा खोया है, इसे मुद्दा ना बनाए, क्योंकि मैं नहीं चाहता की कोई बाप फिर से अपना बेटा खो दे…और उत्तेजित भीड़ ठहर जाती है. जिसके बाद पूरा शहर उस शख्स को अमन-ओ कायम रखने के लिए धन्यवाद देता है.

उनका यह ब्यान काफी मददगार साबित हुआ

उल्लेखनीय है इसी वर्ष मार्च महीने में रानीगंज और आसनसोल में हिंसा भड़क गई थी. जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. उसमे आसनसोल रेलपार स्थित नुरानी मस्जिद के इमाम इम्दादुल्ला राशिदी का 16 वर्षीय पुत्र मोoसिबातुल्ला भी शामिल था. लेकिन इमाम साहब के ब्यान से उत्तेजना थम गई थी और शहर में शांति कायम रखने में उनका यह ब्यान काफी मददगार साबित हुआ था. जिसे ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने इमाम साहब को पुरुस्कृत करने का इलान किया. उन्हें यह पुरस्कार आगामी 9 जून को कोलकाता में राज्य शिशु सुरक्षा दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में दिया जायेगा. इमाम साहब को आमंत्रण देने के लिए कोलकाता से प्रतिनिध मंडल आया था. लेकिन इमाम ने उपस्थित होने से मना करते हुए कहा कि फ़िलहाल रमजान का पवित्र महिना चल रहा है और इस दौरान वे खुदा की इबादत के आलावा कुछ नहीं करते, वे कोलकाता जाने में असमर्थ है और उनके स्थान पर उनके बेटे जाएँगे.

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया

गौरतलब है कि बीते 26 मार्च को रानीगंज में विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा रामनवमी के उपलक्ष्य पर भव्य जुलूस का आयोजन किया गया था. इस दौरान परिषद् के लोगों द्वारा भड़काऊ गाना बजाने को लेकर एक समुदाय के लोग भड़क गए और दोनों तरफ से जमकर पत्थरबाजी होने लगी. देखते ही देखते यह विवाद सांप्रदायिक रूप ले लिया था. जिसके बाद रानीगंज और आसनसोल में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. 27 मार्च 2018 को आसनसोल में हिंसा जारी थी. उसी दौरान इमाम इमादादुल्ला राशिदी को सूचना मिली की उनके पुत्र सिबतुल्ला को दंगाईयो ने उठा लिया है. जिसके बाद उनके एक दूसरे पुत्र थाना में सूचना देने गए, लेकिन पुलिस ने अनसुना कर दिया और दूसरे दिन स्टेशन के समीप से सबितुल्ला की लाश बरामद हुई थी. जिसकी खबर मिलते ही काफी संख्या में लोग जुट गए और उत्तेजना बढ़ने लगी थी. लेकिन इमाम साहब के ब्यान के बाद सभी शांत हो गए और शहर जलने से बच गया था. इमाम साहब के इस कदम को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया था.

Last updated: जून 4th, 2018 by News Desk

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