ब्लास्टिंग के विरोध में ग्रामीणों ने किया ओसीपी ठप्प
ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के कनुस्तोरिया एरिया अंतर्गत चलने वाली बसरा ओसीपी ब्लास्टिंग से क्षतिग्रस्त बांसवाड़ा मांझी पाड़ा के ग्रामीणों ने ओसीपी को बंद कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। ईसीएल प्रबंधन की ओर से भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को उतारा गया। प्रबंधन के काफी प्रयास के बाद भी ओसीपी को अब तक चालू नहीं कि गई।
ब्लास्टिंग की वजह से एक के बाद एक घरों में दरार आई
ग्रामीणों की ओर से स्थानीय माकपा नेता संजय हेम्ब्रम ने बताया कि पिछले 6 महीनों से हम लोग यहाँ के प्रबंधन को सूचना देते आ रहे हैं। कई दफा जोरदार ब्लास्टिंग की वजह से घरों में पहले भी दरार आई। जब कल ब्लास्टिंग की वजह से एक के बाद एक घरों में दरार आई, हम लोग जान माल की सुरक्षा के को लेकर आज से हम लोग अनिश्चितकालीन बंद करने का निर्णय लिये है। सूत्रों के मुताबिक यहाँ से ईसीएल को प्रत्येक दिन 2000 टन कोयले उत्पादन करने का लक्ष्य है, बंदी को लेकर इस प्रबंधन का कहना है, करोड़ों का नुकसान इसकी वजह से होगी। हम लोग यहाँ ब्लास्टिंग करते हैं वह पूरी पैमाने पर ब्लास्टिंग का जो नियम है उसी के तहत है।
ब्लास्टिंग का कोई समय नहीं है
लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि ब्लास्टिंग का कोई समय नहीं है। एक के बाद एक ब्लास्टिंग यहाँ की जाती है। पूरा इलाका थर्रा उठता है। वहीं दूसरी ओर इस कोलियरी के एजेंट एस. मुखर्जी ने बताया कि विषय पर हम किसी भी प्रकार का कमेंट करना उचित नहीं समझते हैं। लेकिन हम लोग ब्लास्टिंग के नियम के तहत ही ब्लास्टिंग करते हैं और इसके बावजूद भी यदि कोई नुकसान हुआ हो तो हम लोग उसकी भरपाई करेंगे। वैसे भी समय-समय पर मरम्मत का काम ईसीएल की ओर से की जाती है।
ब्लास्टिंग की आवाज सुनते ही हम लोग घर से बाहर निकलने को मजबूर हो जाते हैं
ओसीपी के पास मांझी गाँव में करीब 300 से 400 परिवार रहते हैं। ईसीएल क्वार्टर इस इलाके में है, लेकिन अनेकों ऐसे मकान हैं जिसे इस क्षेत्र के श्रमिक कर्मी और ग्रामीणों ने अपने निजी खर्च पर बना रखी है। उसी में से श्यामल मुर्मू एवं शर्मिला हादसा नमक महिला ने बताई की दोपहर होते ही यहाँ ब्लास्टिंग का सिलसिला जारी हो जाता है और ब्लास्टिंग की आवाज सुनते ही हम लोग घर से बाहर निकलने को मजबूर हो जाते हैं क्योंकि कौन सा हिस्सा किस वक्त गिर जाए समझना मुश्किल है।
यहाँ के लोग कहते है जान सबका प्यारा होता है। हमलोग आज ईसीएल के क्वार्टर में रह रहे हैं, उसकी भी जर्जर हालत है, निजी घरों में दरारे हैं अब ऐसे में हम लोग क्या करें वहीं ग्रामीणों का कहना है कि ओसीपी बंद कर दी जाए। लेकिन हम लोग इस इलाके को कभी खाली नहीं करेंगे।
असमंजस में राजनीतिक पार्टियां
आज के इस ब्लास्टिंग को लेकर अपने अक्षर पर मांझी पाड़ा के लोग प्रार्थी सीपीएम के गौरंगो चटर्जी को भी सूचना दी है। लेकिन अब तक नहीं आए हैं। बहरहाल ओसीपी को बंद कर दी गई है। डिस्पैच बंद है। इस जल प्रबंधन की ओर से अब तक खोलने की अथवा समझौता की कोई सूचना नहीं है। दूसरी ओर सामने चुनाव है, यही वजह है कि कोई भी राजनीति दल खुलकर ना तो विरोध कर पा रहे हैं और ना ही ग्रामीणों का समर्थन कर रहे हैं।
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