खानकाही कव्वाली व सुफीयाना कलाम से झूमे श्रोतागण
लोयाबाद है शहंशाही कुर्बान उनपर,उनका एखलाक सबसे जुदा है, दोनों आलम के सुल्तान है वो,पेट पर जिनके पत्थर बंधा है।
शेरे खुदा जमाले पयम्बर अली अली, इसरारे कायनात का,मंजर अली अली….गुलाम आले रसूल है हम, हमारे आका अजीज पिया है….किसी भी शै की नहीं है हाजत, हमारे दाता अजीज पिया है….आदि कलाम पेश कर आसनसोल के हिन्दू कौवाल प्रेम बाबू नदीमी ने सबको झूमाया। मौका था लोयाबाद में सैयद अब्दुल अजीज शाह(रहम)के चल रहे सलाना उर्स के चौथे दिन खानकाही कव्वाली। आसनसोल के इस कव्वाल ने सुफीयाना अंदाज में कलाम पेश कर हर बन्द पर मौजूद लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। यह पहला मौका था जब उर्स के चौथे दिन शाम में शमा ए महफील का आगाज हुआ। बाबा के चाहने व मानने वाले हर एक नज्म के बोल पर रश्क करते रहे। कमिटी के जनरल सेकरेट्री असलम मंसुरी सहित तमाम पदाधिकारियों ने उर्स में शामिल हुए तमाम जायरीन की देख भाल को लेकर मोनेरेटिंग करते रहे।
लंगर का सिलसिला जारी है
लंगर का सिलसिला भी एक तरफ चल रहा है। दूसरी तरफ बाबा के मजारे अकद्दस पर चादरपोशी भी हो रही है। हर आम और खास बाबा के चौखट पर फरियाद लेकर पहुँच रहे है और फेज पा रहे है।
छोटे छोटे बच्चे मेले का आनंद उठा रहे है
ज्ञात हो कि कोरोना महामारी कि वजह से उर्स का यह तिसरा साल है जहाँ कव्वाली का आयोजन और मेला लगाने पर प्रतिबंध किया हुआ हैं। मुस्लिम कमिटी इन तीन सालों में कोरोना गाइडलाइन का पूरा ख्याल रख रहा है। इसी वजह से मेला का आंनद लेने वाले और मेला में दुकान लगाकर परिवार चलाने वाले के बीच मायुसी है।
मौके पर मौजद गणमान्य सदस्य
सदर इम्तियाज अहमद, जरनल सेक्रेटरी असलम मंसूरी, लोयाबाद चैंबर के अध्यक्ष राजकुमार महतो,पूजा कमिटी के सचिव सुनील पांडेय, गुलाम जिलानी, नईम मिस्त्री, मो० आजाद आसवी मो० जमालउद्दीन मो० जहाँगीर पप्पु मो० मेहशम उर्फ टुन्नु मोनु इनाम वसीम आदि सक्रिय है।
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