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पैरा एथलीट में दो दर्जन से अधिक मेडल जीत कर राज्य, देश का नाम रौशन किया, आज दाने-दाने को मोहताज

धनबाद : राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार अपने खिलाड़ियों का सम्मान देना लगता भूल गई है। अपने खेल से गर्व कराने वाले खिलाड़ियों की जिंदगी गरीबी, लाचारी में गुजर रही है। इनमें से ही एक खिलाड़ी है अजय पासवान। वह धनबाद जिले के कतरास थाना क्षेत्र अंतर्गत मालकेरा में टूटे फूटे घर में रहता है। जन्म से दिव्यांग अजय कभी अपने इस कमजोरी को खुद के ऊपर हावी नहीं होने दिया। पैरा एथलीट में दो दर्जन से अधिक मेडल जीत कर राज्य, देश का नाम रौशन किया। प्रतियोगिता में जब भी भाग लेने गया तो कभी सरकार ने उसकी मदद नहीं की, दिहाड़ी मजदूरी या जैसे-तैसे पिता यमुना पासवान अपने बेटे की मदद की, लेकिन एक समय ऐसा आया जब पिता भी हार मान गए। बेटे के मनोबल को बढ़ाने वाला खुद हार गया। महज 5 हजार रुपये नहीं होने के कारण विदेश खेल प्रतियोगिता में भाग लेने अजय नहीं जा सका. आज अजय दाने दाने को मोहताज हैै।

घर के चूल्हे में एक सुबह के बाद क्या बनेगा इसका पता किसी को नहीं है। जिस अजय को उसके दिव्यांगता ने नहीं तोड़ा उसे सिस्टम की बेरुखी ने तोड़ कर रख दिया है। सरकार से अजय ओर उसके परिवार की मांग है कि एक नियोजन, आर्थिक मदद दे जिससे कि वह अपने घर को चला सके।10 वर्षों से राष्ट्रीय पारा एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर 100मी, 200मी और 400मी दौड़ में कई मेडल अपने नाम विकलांग एथेलेटिक्स अजय कुमार पासवान ने किया है। 2015, 2016 में गोल्ड अपने नाम किया। आज आर्थिक तंगी तथा सिस्टम के आगे बेबस लाचार होकर दाने-दाने को मोहताज है। दलित परिवार से आने वाले अजय बाघमारा प्रखंड अंतर्गत मालकेरा दक्षिण पंचायत के मालकेरा 4 नंबर निवासी यमुना पासवान का पुत्र है। आज वह विवश होकर देश को गौरवान्वित करने वाला मेडल तक बेचने को मजबूर है। गरीबी रेखा से आने के वावजूद इन्हें पीएम आवास तक नसीब नहीं हुआ।

अजय के पिता यमुना पासवान ने बताया कि वह घर-घर पानी देकर अपने घर को चलाता था। लेकिन अब वह बन्द है.बीमारी के कारण वह कुछ नहीं कर पाता है। बेटा उसका दिव्यांग होने के बावजूद हार नहीं माना, कई गोल्ड, सिल्वर लेकिन कोई मदद कहीं से नहीं मिली। अजय की बहन सुनीता ने बताया कि घर की स्थिति बहुत खराब है। खाने को कुछ नहीं है। अपने भाई पर बहुत गर्व है। दिव्यांग होने के बावजूद खेल में मेडल जीतते रहे। विदेश जाने का मौका मिला था लेकिन 5 हजार नहीं होने के कारण नहीं जा पाए। छोटा भाई किसी तरह मजदूरी करता है तो घर चल रहा है। अजय की माँ विभा देवी ने कहा कि सरकार बेटे को नौकरी और आर्थिक मदद दे।

खिलाड़ी ने कहा कि उसके दोस्त घर वालों ने उसे हिम्मत दियाा। जिसके बाद से वह साल 2014 से पैरा एथलीट में भाग ले रहा है। वह गुजरात, दिल्ली, पटना, शिमला आदि जगहों में भाग लिया है। अजय ने सरकार से नियोजन देने की मांग की है उसका कहना है कि बड़ी मुश्किल से जिंदगी चल रही है वह दाने दाने को मोहताज हैै।

Last updated: जुलाई 16th, 2021 by Arun Kumar
Arun Kumar
Bureau Chief, Jharia (Dhanbad, Jharkhand)
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