पीर बाबा दरगाह पर दो वर्षों बाद इस वर्ष फिर से लगी उर्स मेला
रानीगंज। पश्चिम बंगाल के कोयलाञ्चल शहर रानीगंज के पीर बाबा दरगाह पर इस वर्ष फिर से उर्स मेला लगी है। मक्का, मदीना, अजमेर शरीफ, हजरत ख्वाजा हसन चिश्ती की तरह रानीगंज के पीर बाबा एक बड़ा तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि यहाँ आने वाले की मन्नत अवश्य पूरी होती है। हजरत मौलाना सैयद शाह शमसुद्दीन इंद्राबी है आलम जिनका जन्म 1741 पटना में हुआ था। बस 1801 में रानी अल्सर में इनकी मृत्यु हुई थी।
वाह रानीगंज में हकीम साहब के नाम से परिचित थे, उनके अनेकों अनवाई रानीगंज में थे, बताया जाता है कि उनके प्रति इस अंचल के लोगों में काफी आस्था रही। हिंदू मुसलमान सभी इनसे प्रभावित थे। यही वजह है कि इनके मजार पर हिंदू मुसलमान सभी चादर चढ़ाने के लिए आते हैं। कोरना महामारी की वजह से पिछले 2 वर्षों से मात्र यहाँ के भक्त गण रस्म को पूरा करते रहे। लेकिन इस बार सज धज कर मेला लगी है ।
अब भक्तों का आना शुरू है । वैसे भी इस मेले का विशेषता कव्वाली के माध्यम से रहा करता था देश के कोने-कोने से लोग यहाँ आते थे और कव्वाली का आनंद लिया करते थे लेकिन इस वर्ष एक भी कव्वाली गायकों को नहीं देखा गया। मात्र मजार पर कुछ एक कव्वाली गाने वाले भक्त मिले। बता दे यहाँ की इस मेले का शुभारंभ विधिवत 17 फरवरी से होती है और 1 सप्ताह तक लगभग या मेला चलती है।
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