महामारी के बाद खुले शिक्षण संस्थान, छात्र हो या शिक्षक सभी में खुशियों का माहौल
रानीगंज। महामारी के बाद शिक्षण संस्थान खुलने लगी है। इसको लेकर छात्र हो या शिक्षक सभी में खुशियों का माहौल देखा जा रहा है।
रानीगंज दुर्गा विद्यालय के शिक्षक प्रदीप सिंह राठौड़ कहते हैं कि स्कूल हो या शिक्षण संस्थान के बंद रहने से हम लोग बहुत दुःखी थे । विशेषकर सरकारी स्कूलों के छात्र और शिक्षकों के बीच का संवाद एकदम टूट गया था। शिक्षक का महत्त्व तो तब बनता है जब स्कूलों में छात्र होते हैं। वर्तमान में 8 क्लास से 12वीं तक के कक्षाओं को खोली गई है हम लोगों को उम्मीद है जल्द से जल्द पूरी तरह से शिक्षण संस्थान खुल जाएगी। सीमित संसाधनों के बीच हमारे छात्र और शिक्षक दोनों ही होते हैं। संवाद हीनता से दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है।
छात्रा जसरमन कौर कहीं कि आज मैं बहुत खुश हूँ। अपने दोस्तों के साथ मिलूंगी अपने शिक्षकों के साथ मिलूंगी। हम लोगों के बीच जो दूरियाँ बन गई थी वह खत्म करने का आज दिन है। त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज के अध्यापिका डॉक्टर मीना सिंह ने कहीं की आज बहुत खुशी का दिन है बीच में प्रयास हुआ था कालेज खुली थी लेकिन चंद दिनों के बाद ही फिर से बंद कर दिए जाने से हताश और निराशा देखने को मिल रही थी। स्कूल हो या कॉलेज सामने में बैठकर शिक्षा प्रदान करना या शिक्षा ग्रहण करना यह प्रैक्टिकल बात होती है। वर्चुअल एक माध्यम हो सकता है लेकिन शिक्षा का परंपरा नहीं हो सकती।
गुरु नानक हाई स्कूल के शिक्षक पुरुषोत्तम कुमार गुप्ता ने बताया सच पूछिए तो आज का दिन हमारे जीवन का सुनहरा दिन है। मुझे तो छात्रों के बीच रहने का आदत सी बन गई है। यह छात्र ही मेरा परिवार होता है। प्रकृति की मार मैं हम दोनों के बीच एक दीवार बनकर आ गई थी। वह दीवार टूटने का समय आ चुका है हम लोग पुराने शिक्षा के गौरव को लौटाने में कोई भी कमी नहीं रखेंगे।
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