ईसीएल कर्मी को जूतों की माला पहनाकर घुमाया

महिला को दिया था गलत प्रस्ताव

एक महिला को गलत प्रस्ताव देकर बुरे फंसे ई सी एल कर्मी.

सभी महिलाओं ने मिलकर उसकी जमकर धुनाई की.

चेहरे पर कीचड लपेट कर सरे बाजार घुमाया.

आसनसोल की है घटना

घटना बीते २२ जून की है.

आसनसोल के  नितुरिया थाना अंतर्गत कुठीबाड़ी की रहने वाली एक गृहबधू किसी काम से पास के मैदान में गयी थी.

आरोप के मुताबिक वहां पास के नवादा गावं निवासी हीरालाल बाउरी ने उसे गलत संबंध बनाने का प्रस्ताव दिया.

इससे महिला क्रोधित हो गयी और शोर मचाना शुरू कर दिया.

शोर सुनकर स्थानीय महिलाएं दौड़ी आयी और स्थिति जानकर हीरालाल को धर दबोचा.

महिलाओं ने उसे मारपीट कर कपडे उतार दिए और जूतों की माला पहनाकर खाली बदन पर कीचड़ लगाकर कुठीबाड़ी नवादा और सरबड़ी तक पैदल घुमाया.

पुलिस ने आरोपी को महिलाओं से बचाया

घटना की जानकारी पुलिस को मिली.

मौके पर नितुरिया थाना के पुलिसकर्मियों ने हीरालाल को महिलाओं के चंगुल से छुड़ाया.

हीरालाल को आगे की कार्यवाही के लिए थाने  ले गयी पुलिस .

अन्य महिलाओं ने दिया साथ

आम तौर पर ऐसे मामले में महिलाएं  चुप्पी साध लेती है

एवं इज्जत के डर से ज्यादा शोर नहीं करती है.

महिलाओं के इसी स्वाभाव का हीरालाल ने फायदा उठाना चाहा

लेकिन बुरे फंसे.

महिला सशक्तिकरण की हो रही है चर्चा

इस पूरे मामले में  जिस तरह से उस गृहवधू ने साहस का परिचय दिया

एवं अन्य महिलाओं ने भी उसका साथ दिया

उसके बाद से पूरे नितुरिया थाना क्षेत्र में इन महिलाओं की बहादुरी के चर्चे हैं

एवं महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है.

क्या यह भीड़तंत्र नहीं है ….?

आज जब पूरे भारत में भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं के चर्चे हैं

ऐसे में किसी आरोपी के मुंह पर कीचड लगा कर सरे बाजार घूमना क्या भीड़ तंत्र नहीं है.

निस्संदेह आरोपी सजा का हकदार है ,

पर क्या भीड़ उसे सजा देगी ……….?

कानून पर नहीं है भरोसा

ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि लोगों को लगता है कि आरोपी पुलिस को पैसे देकर कोर्ट कचहरी के चक्कर काट कर  छूट जाएगा

पुलिस एवं कानून पर यही अविश्वास भीड़तंत्र को जन्म देता है.

लेकिन इसके साथ ही यह मनुष्य की एक मानसिकता को भी दर्शाता है.

जो हर फैसला भीड़ के हिसाब से ही करना चाहती है.

पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों का विश्वास पुलिस एवं कानून पर हो

और वह फैसला कानून को करने दे

स्वयं फैसला न करे.

Last updated: सितम्बर 1st, 2017 by Pankaj Chandravancee

Pankaj Chandravancee
Chief Editor (Monday Morning)
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