रिश्तों की अहमियत,,,, लेखक सह पत्रकार अरुण कुमार
मेरी बात,,,, आज का टॉपिक रिश्तों की अहमियत,,,,, कहने और सुनने में तो यह शब्द की रिश्तों को अहमियत आज के इस लाइफ स्टाइल भरे हमसबके जीवन में कितना अहमियत रखता हैँ तो आप यह जान जाए की आज का दौर खुदगर्ज वाला दौर हो चला हैँ सभी लोग अहम और वहम के चक्कर में पड़कर उन रिश्तों का क़त्ल कर चुके हैँ जो की रिश्ता और रिश्तेदार के लिए निहायत ही जरुरी हैँ, किन्तु किया कहा जाए आज के इस युथ को ये जो आज के युवा पीढ़ी हैँ वो अपने आप में काफी माहिर हो गए हैँ उन्हें केवल और केवल अपने ससुराल और अपने फटे पुराने दोस्तों की ज्यादा पड़ी रहती हैँ तभी तो जरुरत के हिसाब से ही वे रिश्ता रखते हैँ कहने में थोड़ा अटपटा लग रहा हैँ किन्तु आज की सच्चाई भी यही हैँ, इसमें से कुछ लोग पत्नी वर्ता पति भी कहलाते हैँ कि भाई जो धर्म पत्नी कह रही हैँ सभी सही हैं किन्तु यही वो पुरुष गलत हो जाता हैँ, क्योंकि अगर मित्रवर जो धर्म पत्नी साड़ी पहनती हो और आप उसको धोती और कुर्ता पहना रहे हैँ यही आप गलत हैँ तो आप जान लें की आपकी इज्जत और मान सम्मान नहीं बचने वाली हैँ यही आज का सत्य भी हैँ तो फिर सभी कुछ अगर जान कर भी आप अनजान बनने का नाटक करें तो किया यह सही हैँ तो कदापि नहीं तभी आज रिश्तों को तवज्जो देना बहुत ही जरुरी हो चला हैँ अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब एक एक करके आपके सारे रिश्तेदार आपसे दूर होते चले जाएंगे फिर चाह कर भी आप केवल कल्पना ही कर पाएंगे की किया था और किया हो गया तो मित्रवर अब समय आ गया हैँ कि उस रिश्ते और रिश्तेदार को हमेशा संभाल कर रक्खे जो की स्वयं में खुदार हों क्योंकि रिश्ता बनाने में काफी समय लगता हैँ और बिगाड़ना हों तो समय का एक पल काफी होता हैँ, संयोग को प्रयोग ना बनाये अन्यथा वियोग अवश्य हो जाएगा, सम्बन्ध कैसे भी हों भाई हों, दोस्त हों पिता हो, माता हो या हों और भी कोई रिस्तेदार सबकी अपनी अपनी पोजीशन हैँ अन्यथा कोई भी रिश्तेदार किसी के यहाँ दर्शन भी नहीं देता अगर बात उनके मान और सम्मान पर जब आ जाती हैँ कई ऐसे उदाहरण हैँ और आपलोगों में कइयों ने उस सम्बन्ध को अगर नजदीक से देखा होगा तो आप समझ जाएंगे की मैं यह बात क्यों कह रहा हूँ, अगर रिश्तों की अहमियत को आप निभा पाए तो आपका मान और सम्मान सामाजिक स्तर पर भी ऊंचा हों जाता हैँ तो किर्पा करके बनावटी रिश्तों से बाहर निकले और सामाजिक रिश्तों को अपनाए अन्यथा आप किसी रिश्तेदार के लायक अपने आपको नहीं ढाल पाएंगे और अंत में अगर आपकी धर्म पत्नी हॉउस वाइफ हैँ तो उन्हें हॉउस वाइफ का ही मान्यता रहने दें उन्हें कोई भी सामाजिक जिम्मेदारी ना सौपे अन्यथा आपकी मान्यता और आपके द्वारा बनाया हुआ सामाजिक संबंध बिच्छेद होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी ये मेरी एक सलाह हैँ उन भाइयों और दोस्तों के लिए जो हम में नहीं वे अहम् और वहम में विश्वास कर रहे हैँ और एक बात पत्नी वर्ता पति बने किन्तु कितना बनना हैँ वो भी अवश्य जान लें नहीं तो कोई भी रिश्ता और रिस्तेदार आज के डेट में स्वयं इतना ज्ञानी हैँ कि उन्हें पता होता हैँ कि आगे किया करना हैँ, इसलिए रिश्ते और रिश्तेदार को पहचानिये और वक्त के साथ उन रिश्तों की कद्र भी कीजिये क्योंकि रिश्तों की अहमियत अगर आप समझ गए तो समाज में आप अनमोल हों जाएंगे अन्यथा बाकी आपकी मर्जी,,,,,, अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार,,,,,मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क
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