रंगोली के बिना दीपावली अधूरी
दीपावली को दीयो और प्रकाश का पर्व माना जाता है, लेकिन इस त्यौहार में घर की सजावट और खासकर रंगोली का भी बहुत महत्त्व है. रंगोली प्राचीन भारतीय सांस्कृति-परम्परा और लोक-कला का अहम् हिस्सा रहा है. दीपावली के दिन हर कोई अपने घरों को सबसे सुंदर दिखाने का प्रयास करता है. जबकि महिलायें एवं युवतियाँ आकर्षक रंगोली को अधिक प्राथमिकता देती है.
रंगोली का देश के अलग-अलग राज्यों में नाम और शैली में भिन्नता हो सकती है, लेकिन इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में पर्याप्त समानता है. इसकी यही विशेषता इसे विविधता प्रदान करती है. क्योंकि रंगोली को काफी शुभ माना जाता है और मौका चाहे कोई भी हो त्यौहारों में यदि घर के दरवाजे पर रंगोली न बनी हो तो त्यौहार कुछ अधूरे से लगते हैं. मान्यताओ के अनुसार घर के बाहर रंगोली बनाने का मतलब होता है कि आप देवी महालक्ष्मी को अपने घर आमंत्रित कर रहे हैं.
इस दीपावली भी शहर के अधिकांश घरों में आकर्षक रंगोली बनाने की होड़ दिखी. सीतारामपुर स्टेशन रोड स्थित छात्रा सोनाली विश्वकर्मा की रंगोली काफी आकर्षक थी. सोनाली ने बताया कि काई दिनों से आज के दिन रंगोली बनाने की तैयारी कर रही थी, जिसका परिणाम आज अच्छा रंगोली के रूप में दिखाई दे रहा है. सोनाली ने इस रंगोली के जरिये माँ महालक्ष्मी को अपने घर आमंत्रित किया साथ ही सभी के घरों में सुख-शान्ति और समृद्धि की प्रार्थना की.
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