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क्योकि पूंजीवाद गरीबो का खून चूसता है

निचले तबके के लोगों का शोषण चंद मजबूत लोग करने लगे

बराकर। डॉ राममनोहर लोहिया को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके विचारों को आज के समय की परिस्थितियों के मद्देनजर  आत्मसात करें एवं उनके दिखाए मार्ग पर चलें। डॉ राममनोहर लोहिया ने जब देखा कि वर्ण व्यवस्था के बंटवारे के बाद किस प्रकार निचले तबके के लोगों का शोषण चंद मजबूत लोग करने लगे, तो समाजवाद की मशाल लेकर वे आगे बढ़े और सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता हेतु अपना कृतसंकल्प प्रस्तुत किया। उक्त बातें लोहिया विद्यापीठ बलतोड़िया, बराकर में डॉ राममनोहर लोहिया के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ‘सामाजिक सामंजस्य’ विषयक संगोष्ठी में जनता दल यूनाइटेड के राज्य उपाध्यक्ष शुभाष सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि लोहिया जी देश की बागडोर केवल चंद मजबूत लोगों के हाथ में दिए जाने के प्रबल विरोधी थे एवं अहिंसक ढंग से उसके खिलाफ आंदोलन किया और संसद से लेकर सड़क तक अपनी बात पुरजोर तरीके से रखी। आज देश में सरकार जब भी पूंजीवाद के साथ खड़ी होती है तो कहीं न कहीं लोहिया जी के असंख्य अनुयायी शांतिपूर्ण विरोध करते हैं। यही उनके विचार की  जीत है।

प्रकृति कोई भेदभाव नहीं रखती तो हम एक दूजे से क्यों भेदभावपूर्ण रवैया अपनाएं

राष्ट्रीय जनता दल के जिलाध्यक्ष नंद बिहारी यादव ने कहा कि लोहिया जी भारत ही नहीं समूचे विश्व में अपने समाजवादी विचारों के लिए जाने जाते हैं। तभी आज उनके जन्म के 108 वर्ष बाद भी उन्हें चहुंओर याद किया जाता है। इतिहास में उसी को याद किया जाता है जो आम आदमी से खास आदमी के रूप में विकसित होते हैं और वह खासियत विचारों में ज्यादा होनी चाहिए। जब हम अपने स्व को  समझ लेते हैं तो हम परिपक्व होते हैं यही लोहिया जी की विशेषता थी। लोहिया जी पूरे विश्व के विचारों का अध्ययन किया तो पाया कि जिस तरह प्रकृति कोई भेदभाव नहीं रखती तो हम एक दूजे से क्यों भेदभावपूर्ण रवैया अपनाएं। भारत में जातिवाद एक दंश की भांति है और समाज में जबतक सब लोग समान नहीं होंगे तब तक समरसता नहीं आ सकती। समान शिक्षा प्रणाली से ही समानता आ  सकती है। आज समाजवाद को दरकिनार कर सरकारें पूंजीवाद की ओर बढ़ रही हैं क्योंकि सत्ता प्रतिष्ठान एवं प्रशासन को निजीकरण  करने की कोशिश की जा रही है।

पूंजीपति देश चला रहे है

अम्बानी और अडानी देश के मालिक बने बैठे हैं और लड़ने वाले आवाज उठाने वालों को जूठे प्रकरण में फंसाकर उन्हें कुचलने के प्रयास किये जा रहे हैं। शाला कमिटी के अध्यक्ष डॉ एमडी यादव ने कहा कि संसद के सभी भाषणों को आप अगर पढ़ें तो पाएंगे कि उन्होंने हमेशा गरीबों की आवाज ही सदन में उठायी। लोहिया जी पूंजीवाद को जोंक की तरह मानते थे क्योंकि पूंजीवाद गरीबों का खून  चूसता है और समाजवाद की अवधारणा को मजबूती देकर ही साम्राज्यवाद और पूंजीवाद से लड़ा जा सकता है। उन्होंने बताया कि शाला में प्रतिवर्ष यह आयोजन होता है और समय- समय पर बच्चों को समाजवादी विचारकों के बारे में पढ़ाया भी जाता है। संगोष्ठी में  स्कूल कमिटी के सचिव मुरलीधर साव सहित शिक्षकगण चंद्रिका यादव, जनार्दन तिवारी और रजनी पासवान, मानवाधिकार कार्यकर्ता अली हुसैन ने भी अपनी बात रखी।

Last updated: मार्च 23rd, 2018 by News Desk

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