कम उम्र में प्रेम, प्रेम नहीं आकर्षण है -ज्योतिषाचार्य एस के पांडे
प्रेम को ईश्वर का वरदान माना जाता है, कहा जाता है कि जिसमें प्रेम नहीं वह मनुष्य नहीं। ईश्वर ने जानवरो में भी प्रेम की ललक भरी है। पुत्र-माँ से, भक्त ईश्वर से जो लगाँव रखता है वह प्रेम होता है। इसमें कोई किन्तु-परंतु, लाभ-स्वार्थ नहीं होता। किन्तु वर्तमान समय में प्रेम को लेकर काफी भ्रांतियाँ उत्पन्न हो गई है। आज के युवा वर्ग आकर्षण को प्रेम की परिभाषा देने लगे है।
खासकर नवयुवक और नवयुवतियों में आजकल प्रेम-प्रसंग का मामला काफी भयावाह होता जा रहा है। ये इस आकर्षण के प्रति इतना भ्रमित हो गए है कि आत्महत्या जैसी घटनाओ में वृद्धि देखि जा रही है। उक्त बातें कल्याणेश्वरी निवासी सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्या संतोष कुमार पांडे ने कही।
उन्होंने बताया कि मेरा कर्म लोगों के हस्तरेखा देखना और उसके अनुसार समस्याओं का समाधान करना है। परंतु आजकल जितनी समस्याए आ रही है, उनमें सबसे अधिक प्रेम-प्रसंग का मामल देखा जा रहा है। अधिकांश लोग अपने पुत्र व पुत्रीयो के प्रेम को लेकर चिंतित दिख रहे है, जिसमें काफी कम उम्र के बच्चे-बच्चियाँ अधिक होते है।
आचार्य एसके पांडे ने कहा कि वयस्क होने पर प्रेम की परिभाषा का अनुभव गहराई से किया जा सकता है, लेकिन कम उम्र में प्रेम को सिर्फ आकर्षण मात्र ही कहा जाएगा, जो काफी भयानक स्थिति को जन्म दे रहा है। उन्होंने कहा कि नवयुवक और युवतियो में सोचने-समझने की शक्ति कम होती है,
ऐसे में अभिभावकों को ही सतर्क रहना होगा और अपने बच्चों पर बिना दबाव दिये उन्हें सही मार्गदर्शन करना होगा, तभी कुछ हद तक इस समस्या का निराकरन संभव हो सकता है।
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