चित्तरंजन गोली कांड में पुलिस ने तीन हत्यारोपियों को किया गिरफ्तार, दो की तलाश तेज
चित्तरंजन गोली कांड में चित्तरंजन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए चित्तरंजन क्षेत्र से ही तीन हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया जबकि अन्य दो आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए निरंतर छापेमारी तेज कर दी गयी है।
घटना विगत शुक्रवार शाम 5 बजे की है, जब स्क्रैप ऑक्शन बिडर सह चिरेका ठेकेदार एवं तृणमूल कर्मी बलराम सिंह चिरेका जीएसडी गेट से अपने स्क्रैप ट्रक में लोड करवा तथा मजदूरों का मजदूरी भुगतान कर स्कूटी से घर लौट रहे थे, उसी वक्त जीएसडी गेट से लगभग 200 मीटर की दूरी पर घात लगा कर बैठे हमलवारों ने बलराम पर गोली चला दी । तीन गोली चली जिसमें से दो गोली सीधे बलराम सिंह के बाजू और कनपटी में जा लगी, जिससे बलराम की मौके पर ही मौत हो गई और हमलावर मौके से भागने में सफल रहे। खून से लथपथ बलराम को आनन-फानन में चित्तरंजन कस्तूरबा गाँधी अस्पताल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने बलराम को मृत घोषित कर दिया। इलाके में घटना की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी।
बलराम सिंह तृणमूल कॉंग्रेस में सक्रिय कार्यकर्ता भी थे। अस्पताल परिसर में तृणमूल कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं का हुजूम लग गया। मौके पर पहुँचे बाराबनी तृणमूल युवा नेता मुकुल उपाध्याय एवं सालानपुर ब्लॉक तृणमूल महासचिव भोला सिंह ने पुलिस प्रशासन को जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ने की मांग की।
घटना के बाद आरपीएफ द्वारा पूरे चिरेका क्षेत्र की नाकेबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है, चित्तरंजन थाना प्रभारी अतिन्द्रनाथ दत्ता की अगुवाई में भारी पुलिस बल भी सक्रियता दिखाते हुए अपराधियों की तलाश में जुट गई।
देर रात डिसीपी(वेस्ट) अनामित्रा दास चित्तरंजन थाना पहुँचे और घटना स्थल का निरीक्षण कर पुलिस को जरूरी निर्देश दिए जिसके बाद चित्तरंजन पुलिस अपने खुफिया तंत्र का उपयोग कर पूरी रात रेल नगरी में छापेमारी अभियान चला कर चित्तरंजन क्षेत्र से 5 लोगों को गिरफ्तार किया । बाद में पुलिस ने पूछताछ के बाद दो लोगों को छोड़ दिया ।
पूरे हत्याकांड में पाँच लोगों को आरोपी माना जा रहा है। जिसमें अजय मंडल उर्फ गंगू, राहुल सिंह, मुकेश बाल्मीकि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है जबकि दो आरोपी रणविजय वाल्मीकि तथा सूरज बाल्मीकि फरार बताया जा रहा है।
गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों को शनिवार सुबह पुलिस ने आसनसोल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर चौदह दिनों की पुलिस रिमांड की मांग की गई जिस पर न्यायालय ने सात दिन की रिमांड को मंजूर कर लिया।
पुलिस सूत्रों की माने तो पूरा मामला और हत्याकांड स्क्रैप वर्चस्व से जुड़ा है । बताया जाता है कि आरोपी अजय मंडल उर्फ गंगू भी स्क्रैप कारोबार से जुड़ा है, जबकि एक अन्य आरोपी चिरेका कर्मचारी है।
बताया जाता है कि चित्तरंजन रेल नगरी में स्क्रैप नीलामी को लेकर इससे पहले भी खूनी खेल खेला जा चुका है। कयास लगाया जा रहा है आने वाले सात दिनों में रहस्य की बहुत सी परतें खुलने वाली है, जिससे इस खूनी खेल में संलिप्त और भी कई स्क्रैप जगत की नामचीन माफियाओं का नाम सामने आ सकता है।
घटना के बाद से ही मृतक बलराम के परिवार दुःख में डूबा हुआ है, बलराम के पिता ओमप्रकाश सिंह चिरेका से रिटायर होने के बाद रूपनारायणपुर के मालबोहाल में पूरे परिवार के साथ रहते है,फिलहाल पिता ओमप्रकाश दिल्ली इलाज के लिए गए है,जिन्हें सूचित कर दिया गया है।
वह सड़क मार्ग से घर लौट रहें है,घटना के बात मृतक बलराम की पत्नी किरण देवी का रो-रो कर बुरा हाल है जबकि दो छोटे छोटे बच्चों के सर से पिता का हाथ उठ गया है । बलराम की एक पाँच साल का बेटा और 1 साल की बेटी है। स्थानीय लोगों की माने तो बलराम सिंह बहुत ही व्यवहारिक स्वभाव के थे, जिसके कारण उनकी प्रसिद्धि और कार्य में दिन दोगुना रात चौगुना तरक्की हो रही थी, बस प्रतिद्वंदियों को यह बात खटकने लगी थी।
आरपीएफ और पुलिस को चढ़ावा से पनप रहा है चित्तरंजन में माफियाओं साम्राज्य
देश की सबसे बड़ी रेल इंजन कारखाना होने का गौरव प्राप्त चिरेका में भारी संख्या में स्क्रेप लोहा और अन्य मशीनरियों की नीलामी की जाती है। ऐसे में अधिकारियों की मिली भगत से लाखों का माल ओने-पौने भाव में नीलाम किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि वर्षों से रेल कारखाना में एक ही पद पर विराजमान अधिकारियों का भी जेब गर्म किया जाता है।
स्क्रेप लोडिंग में आरपीएफ और पुलिस की मुँह से लार टपकने लगती है। इन देवताओं को भी चढ़ावे की रकम अदा की जाती है। फलस्वरूप यहाँ के स्क्रेप माफिया , पुलिस प्रशासन और आरपीएफ एक अटूट बंधन से बंध जाते है। जिसके कारण समय के साथ चित्तरंजन रेल नगरी में माफियाओं का मनोबल सातवें आसमान पर विराजमान होता जाता है।
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