राष्ट्रिय खबर

मंत्रिमंडल ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के भारत- विकास फाउंडेशन को बंद करने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के भारत- विकास फाउंडेशन (आईडीएफ- ओआई) को बंद करने की मंजूरी दे दी है, ताकि राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन और स्‍वच्‍छ भारत मिशन जैसे सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों, के लिए प्रवासी भारतीयों के योगदान को दिशा देने के लिए तालमेल बढ़ाया जा सके।

पृष्‍ठभूमि ::

सरकार ने 2008 में मंत्रिमंडल की मंजूरी से आईडीएफ- ओआई कि स्‍थापना एक स्‍वायत्‍तशासी गैर- लाभकारी न्‍यास के रूप में की थी, ताकि भारत की सामाजिक और विकास परियोजनाओं में प्रवासी भारतीयों के स्‍वेच्‍छा से योगदान को सरल बनाया जा सके।चूंकि विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय से दान के रूप में फाउंडेशन को दिसंबर 2008 से मार्च 2015 के बीच केवल 36.80 लाख रुपये प्राप्‍त हुए थे, आईडीएफ- ओआई कि 2015 में एक विस्‍तृत समीक्षा की गई। सरकार के राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन और स्‍वच्‍छ भारत मिशन जैसे प्रमुख कार्यक्रमों को बढ़ावा देने; और राज्‍य सरकारों द्वारा पहचानी गई सामाजिक और विकास परियोजनाओं को आईवीएफ- ओआई के आदेश पत्र में शामिल कर लिया गया।हालांकि अप्रैल 2015 और मार्च 2018 के बीच न्‍यास को 10.16 करोड़ रुपये प्राप्‍त हुए, इनमें से प्राप्‍त अधिकांश राशि राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन अथवा स्‍वच्‍छ भारत मिशन से जुड़ी थी, जिनका प्रबंध उनकी संबंध एजेंसियों द्वारा अलग- अलग किया जा रहा था। तालमेल बढ़ाने, क्षमता में सुधार लाने और काम का दोहरीकरण रोकने के लिए आईडीएफ- ओआई के न्‍यास बोर्ड की 9वीं बैठक में न्‍यास को 31 मार्च, 2018 को बंद करने का फैसला किया गया।

पत्रकारों को पहली बार पत्रकार कल्‍याण समिति का सदस्‍य बनाया गया

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकार कल्‍याण योजना पर समिति और केन्‍द्रीय प्रेस प्रत्‍यायित समिति का पुनर्गठन किया है। पत्रकारों को पहली बार पत्रकार कल्‍याण समिति का सदस्‍य बनाया गया है।पत्र सूचना कार्यालय (पसूका) के प्रधान महानिदेशक की अध्‍यक्षता में गठित केन्‍द्रीय प्रेस प्रत्‍यायित समिति में भारतीय प्रेस परिषद और समाचार प्रसारक संघ (न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टर्स एसोसिएशन, एनबीए) के प्रतिनिधि सदस्‍यों के रूप में शामिल किए गए हैं। अन्‍य सदस्‍यों में दैनिक जागरण के श्री प्रशांत मिश्रा, टाइम्‍स नाउ की श्रीमती नविका गुप्‍ता, एबीपी न्‍यूज के श्री कंचन गुप्‍ता, द पायनियर के श्री जे.गोपीकृष्‍ण और एएनआई कि श्रीमती स्‍मिता प्रकाश शामिल हैं। समिति के सदस्‍यों का कार्यकल दो वर्ष का है और समिति की बैठक प्रत्‍येक तीन माह में एक बार या इससे अधिक बार होगी।पत्रकार कल्‍याण योजना पर गठित समिति द्वारा प्रभावी कार्य करने के लिए इसमें कम सदस्‍यों को शामिल किया गया है। इस समिति में अब केवल सचिव (सूचना और प्रसारण), संयुक्‍त सचिव (कार्मिक एवं प्रशासनिक) और पीआईबी के प्रधान महानिदेशक आधिकारिक सदस्‍य होंगे। पहली बार पत्रकारों को भी समिति का सदस्‍य बनाया गया है। छह पत्रकार- श्री विकास भदौरिया, श्रीमती रिचा अनिरूद्ध, श्री अशोक उपाध्‍याय, श्री सुजीत ठाकुर, सुश्री सिप्रा दास और श्री रविन्‍द्र सिंह पत्रकार कल्‍याण योजना पर गठित समिति के गैर- औपचारिक सदस्‍य बनाए गए हैं। समिति के गैर औपचारिक सदस्‍यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। इस पहल से समयबद्ध तरीके से सहायता देने से असंतुष्‍ट पक्षों को लाभ मिलेगा।

समिति के संयोजन और नए दिशा निर्देशों पर विस्‍तृत जानकारी लिंक http://mib.gov.in/sites/default/files/JWS%20New%20guidelines_0.pdf पर उपलब्‍ध है।

पत्रकार कल्‍याण योजना की पृष्‍ठभूमि

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में बजट 2018- 19 में पत्रकार कल्‍याण योजना के लिए कोष को पाँच गुना बढ़ाकर एक करोड़ किया है, 2017- 18 में यह 20 लाख था। इस योजना का उद्देश्‍य पत्रकारों और उनके परिजनों को अत्‍यधिक कठिन परिस्थितियों में तत्‍काल एकमुश्‍त अनुकम्‍पा सहायता राशि प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत पीआईबी/राज्‍य सरकारों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के प्रत्‍यायित पत्रकारों या ऐसे गैर प्रत्‍यायित पत्रकारों को शामिल किया गया है, जिन्‍होंने कम से कम लगातार पाँच वर्ष तक समाचार संपादक, रिपोर्टर, फोटोग्राफर, कैमरामैन, फोटो पत्रकार, स्‍वतंत्र पत्रकार के तौर पर पूर्णकालिक या अंशकालिक कार्य किया है। इस योजना के तहत पत्रकार की मृत्‍यु होने पर उसके परिवार के लिए पाँच लाख रुपये तक की सहायता राशि उपलब्‍ध है। इसके अतिरिक्‍त पत्रकार के स्‍थायी अपंग होने पर पाँच लाख रुपये तक की ओर सीजीएचएस या अन्‍य बीमा/स्‍वास्‍थ्‍य योजनाओं के अंतर्गत कवर नहीं कि गई गंभीर बीमारी के इलाज के लिए तीन लाख रुपये तक की सहायता राशि प्रदान करने का प्रावधान है।

17.63 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने यात्री किराये पर सब्सिडी छोड़ी

भारतीय रेलवे ने सब्सिडी छोड़ने का विकल्प अपनाने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यात्री किराये में 100 प्रतिशत तक रियायत छोड़ने का विकल्प पहले से ही उपलब्ध था। यही नहीं, 22 जुलाई, 2017 से वरिष्ठ नागरिकों को यह विकल्प दिया गया कि या तो वे रेल टिकटों पर उपलब्ध पूर्ण रियायत अथवा इसके आधे से लाभ उठाएं।22  फरवरी, 2018 तक 9.08 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने यात्री किराये पर शत- प्रतिशत सब्सिडी छोड़ दी, जबकि 8.55 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने यात्री किराये पर 50 प्रतिशत सब्सिडी छोड़ दी। चालू वित्त वर्ष 2017- 18 के दौरान वरिष्ठ नागरिकों द्वारा सब्सिडी छोड़ने के कारण 28.98 करोड़ रुपये कि बचत हुई है।मौजूदा समय में पुरुष वरिष्ठ नागरिकों को कुल यात्री किराये पर 40 प्रतिशत रियायत और महिला वरिष्ठ नागरिकों को कुल यात्री किराये पर 50 प्रतिशत रियायत मिलती है। वैसे तो यात्री किराये पर रियायत पाने वालों में खिलाड़ियों और दिव्यांगजनों सहित यात्रियों की कई श्रेणियाँ शामिल हैं, लेकिन इस दृष्टि से प्रमुख लाभार्थी वरिष्ठ नागरिकों के संवर्ग में ही हैं।

Last updated: मार्च 21st, 2018 by News Desk Monday Morning

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