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19 मई को व्यापारी संगठन निगम कार्यालय के समक्ष करेगे विरोध प्रदर्शन

कृषि विपणन कर को लेकर बैठक

नियामतपुर -पश्चिम बर्दवान जिला में कृषि विपणन कर (एग्रीकल्चर मार्केटिंग टैक्स) को लेकर लागू करने के विरोध में फेडरेशन ऑफ़ साऊथ बंगाल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फस्बेक्की) ने सोमवार की देर संध्या नियामतपुर स्थित अग्रसेन भवन में एक बैठक की. जिसमें नियामतपुर मर्चेंट चैंबर ऑफ़ कॉमर्स और नियामतपुर चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया. घंटों चली बैठक में आगामी 19 मई 2018 को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक आसनसोल नगर निगम कार्यालय के मुख्य गेट के समक्ष उक्त टैक्स को लेकर राज्य सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया. इस दौरान कहा गया कि सभी व्यवसाई एकजुट होकर इसका विरोध करे ताकि व्यापारियों के साथ ही आमजन व किसानो को होने वाली परेशानी को रोका जा सके.

सारी क्रियाएँ तथा नीतियों का अध्ययन किया जाता है

उल्लेखनीय है कि कृषि विपणन (एग्रीकल्चर मार्केटिंग) के अन्तर्गत वे सभी सेवाएँ आ जातीं हैं जो कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचाने में करनी पड़तीं हैं. कृषि विपणन, कुल विपणन का एक छोटा प्रतिरूप है. इसमें वे सारी क्रियाएँ तथा नीतियों का अध्ययन किया जाता है, जो कि किसानों तक पहुँचती हैं तथा किसानों द्वारा उत्पादित उत्पादों को बाजार तक ले जाती है. एक अनुकलतम विपणन हमेशा लागत को कम करता है तथा लाभ को अधिकतम करता है. इस प्रक्रिया में यह भी ध्यान रखा जाता है कि किसानों को उचित प्रतिफल मिले साथ ही उपभोक्ताओं को कम कीमत पर वस्तुएँ मिले और मध्यम वर्ग आय का कुछ अंश भी बच जाये. परन्तु व्यापारियों का कहना है कि यदि राज्य सरकार कृषि विपगन कर लगाती है तो इसका सीधा बोझ खासकर आम जनता पर अधिक पड़ेगा. क्योंकि कृषि उत्पादों की बिक्री पर टैक्स लगाने से इससे जुड़े कारोबारी उत्पाद का मूल्य बढाकर बिक्री करेंगे, जिसका वहन आम उपभोक्ता को करना पड़ेगा.

व्यावसाई और ग्राहकों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा

मौके पर फस्बेक्की के प्रतिनिधियों ने कहा कि पूरे पश्चिम बंगाल में जब उक्त टैक्स का प्रावधान नहीं है, तो सिर्फ पश्चिम बर्दवान जिले में इसे क्यों लागु किया जा रहा है. एग्रीकल्चर मार्केटिंग टैक्स लागू करने से व्यावसाई और ग्राहकों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस लिए इस टैक्स को हटाने की मांग की गई. रानीगंज से लेकर बराकर तक के विभिन्न व्यावसाईक संगठन गोलबन्द होकर इसके विरोध में सड़क पर उतरने की तैयारी में जुटे है. इस विषय पर फस्बक्की के सचिवसुब्रत दत्ता ने कहा कि यदि राज्य सरकार एग्री कल्चर टैक्स लेगी तो इसका सीधा असर यहाँ की जनता पर पड़ेगा. क्योंकी सरकार जो टैक्स हमलोगों से लेगी उसका भरपाई खादय समग्री पर बढाकर करना पड़ेगा, तब जो सामग्री की कीमत झारखण्ड-बिहार व राज्य के अन्य जिलो में 10 रुपये होगा उसकी कीमत पश्चिम बर्दवान जिले में 12 रुपये हो जाएगी. इसका एक नुकसान यह भी होगा कि यहाँ के उपभोक्ता झारखण्ड से उक्त साम्रगी क्रय करेगी और पूरे जिले का व्यापार ठप हो जायेगा. जिससे राज्य के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुँचेगा.

उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा

उन्होंने कहा इससे पहले उड़ीसा में भी एग्रीकल्चर मार्केटिंग टैक्स लगाया गया था, जिसके विरोध में वहाँ के व्यावसाईयो ने उड़ीसा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उक्त टैक्स को रोकने में सफलता हासिल की. उसी प्रकार अगर यहाँ की सरकार व्यवसाईयों की बात नहीं मानेगी तो हमलोगों को भी मजबूरन उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. बैठक में फस्बेक्की कार्यकारी अध्यक्ष आरपी खेतान, सलाहकार प्रेम गोयल, सचिन बलोदीया, राज कुमार गोयल, शिव कुमार अग्रवाल, गुरविन्दर सिंह, मुरारी लाल अग्रवाल, जय प्रकाश दोकानिया, संदीप बलोदीया, रामनाथ यादव, महेंदर संघई, मुख्य रूप से उपस्थित थे.

Last updated: मई 15th, 2018 by News Desk

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