केंद्र सरकार के नए क़ानून हिट एंड रन के खिलाफ पुरे भारत में सभी ड्राइवरों का जोरदार प्रदर्शन
धनबाद – नए क़ानून के खिलाफ चालक संघ ने हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन किया ,
केंद्र सरकार के नए कानून हिट एंड रन के खिलाफ रोडवेज चालकों का हड़ताल जारी,
केंद्र सरकार के द्वारा जो नया कानून लाया गया हैँ उसे आज से चालक संघ ने हड़ताल की और विरोध प्रदर्शन भी किया.वहीँ चालक लोग एकत्रित होकर सुबह से ही इस कानून का विरोध करते रहे.जबकि टेम्पु चालकों ने एकजुटता दिखाते हुए इस नए कानून का जमकर विरोध प्रदर्शन किया इस दौरान प्रदर्शनकारियों की कोशिश थी कि प्राइवेट बस चालकों और एंबुलेंस के चालकों को भी इसमें शामिल किया जाए.
वहीँ चालक संघ के विशाल सिन्हा ने बताया कि चालक खुद नहीं चाहते हैं कि हादसा हो पर दुर्घटनाएं अचानक होती हैं. सरकार ने अब दुर्घटना पर सीधे – सीधे चालक को दोषी मानने का कानून बनाया है. इसमें दस साल की सजा के साथ ही अर्थदंड देने का भी प्रावधान किया गया है. इसी के विरोध में हड़ताल शुरू हुई है और आगे भी जारी रहेगी.
बता दे कि चालकों के लिए बनाए जा रहे इस नए कानून को लेकर वाहन चालकों में आक्रोश व्याप्त है और तो और स्टेंड के चालकों ने वाहनों का संचालन भी बंद कर दिया हैँ,रोडवेज ड्राइवरों ने बस चलाने से मना किया है. उनका कहना है कि जब तक कानून पर रोक नही लगेगी वाहन नहीं चलाएंगे. सैकड़ो की संख्या में यात्री स्टेंड में एकत्रित हैं और यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.सभी रोडवेज स्टेंड में टेम्पु खड़ी है.चक्का जाम का विभिन्न संगठनों ने आह्वान कर दिया है देशभर में हड़ताल भी शुरू हो चुकी है.और लगातार जारी हैँ,भारतीय न्याय संहिता 2023 में किये गए संशोधन के पश्चात आए नए क़ानून हिट एंड रन के मामलों में जो भी दोषी ड्राइवर होंगे उन पर सात लाख रुपये का जुर्माना किया जाएगा और न्यूनतम दस वर्ष के कैद का प्रावधान किया गया है.जबकि केंद्र सरकार को भी इस नए क़ानून हिट एंड रन के बारे में अवश्य विचार करना चाहिए क्योंकि अगर सुरक्षा की बात हैँ तो एक ड्राइवर की भी सुरक्षा होनी चाहिए कौन लेगा जिम्मेवारी क्योंकि सभी ड्राइवर को एक पुलिस के साथ नहीं सुरक्षा दे सकते हैँ तो सरकार कैसे एक ड्राइवर की सुरक्षा की गारेंटी लेगी क्योंकि ड्राइवर भी तो इंसान ही हैँ और इस नए क़ानून में बात अगर हो तो सबकी सुरक्षा पर बात हो अन्यथा यह क़ानून किसी भी मामले में सही नहीं हैँ सरकार को पुनः इसपर विचार करने की जरूरत हैँ
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