कोयलांचल में काफी धूम-धाम से मनाया गया हूल दिवस
वीर शहीद सिधु -कानू की 164 वीं शहीदी दिवस को पूरे कोयलांचल में काफी धूम-धाम से मनाया गया. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में आदिवासी संप्रदाय के दो वीर सिधु -कानू इस आंदोलन में अंग्रेजों के विरुद्ध में तीर धनुष लेकर युद्ध की घोषणा किए थे। जमीन आंदोलन को लेकर आदिवासी संप्रदाय द्वारा अंग्रेजों से किए गए इस आंदोलन में गोला बारूद के बजाय युद्ध के मैदान में तीर धनुष लेकर आंदोलन किया था। उन्हीं के स्मरण में हर वर्ष हुल दिवस पालन की जाती है। इस हूल दिवस में आदिवासी संप्रदाय के लोग अपने इस वीर के जीवन गाथा को तरह-तरह के कार्यक्रम के माध्यम से उजागर करते हैं ।
रानीगंज के बांसड़ा में आदिवासियों ने मनाया हूल दिवस
रानीगंज में शनिवार को ऐतिहासिक हूल दिवस पालन की गई। इस अवसर पर आदिवासी संप्रदाय द्वारा रानीगंज अंचल में विभिन्न कार्यक्रम कर वीर सिधु -कानू को स्मरण किये गए । इसी संदर्भ में रानीगंज के बांसड़ा स्थित आदिवासी एस टी डी क्लब की ओर से तथा जे के नगर बेलिया बथान आदिवासी क्लब की ओर से हुल दिवस पालन की गई।
रानीगंज के विधायक रुनु दत्त ने हूल दिवस की रैली में की पदयात्रा
रानीगंज के विधायक रुनु दत्ता ने बांसड़ा एस टी डी क्लब में आयोजित कार्यक्रम में झंडोतोलन किया एवं सिधु -कानू के मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें स्मरण किया। इस मौके पर तीर धनुष, भाला के साथ ढोल मृदंग के साथ पारंपरिक तरीका से स्त्री पुरुष महिलाओं ने इलाके में जुलूस निकाली। इन जुलूस में विभिन्न बैनर और पोस्टर से आदिवासी संप्रदाय ने हक प्राप्ति के लिये अपनी मांगे भी रखी । रानीगंज के विधायक रुनु दत्ता ने भी आदिवासियों के साथ हूल दिवस की रैली में पदयात्रा की. इस अवसर पर अंचल के आदिवासी संप्रदाय के मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।
सलानपुर के कुसुमकनाली में मनाया गया हूल उत्सव
सालानपुर ब्लॉक अंतर्गत कुसुमकनाली एवं मालबोहल में आदिवासियों द्वारा मनाए गया हूल उत्सव । आदिवासी संगठन की ओर से यहाँ 30 जून को हर साल की तरह इस साल भी हूल उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जीतपुर पंचायत प्रधान अपर्णा रॉय सहित पंचायत के सभी सदस्यों ने सिधु -कानू की मूर्ति पर माला पहनाकर उसे याद किया गया । एक दिवसीय इस उत्सव के दौरान क्षेत्र में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । आदिवासी सम्प्रदाय द्वारा पारंपरिक नृत्य संगीत प्रस्तुत किया गया । इस उत्सव में आस-पास के गाँवों के सैकड़ों आदिवासी सम्प्रदाय के लोग शामिल हुए । हूल उत्सव कमेटी के सचिव विश्वनाथ बाग ने कहा कि यहाँ पर 1986 से हर वर्ष हूल उत्सव मनाया जा रहा है । उत्सव में सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों के अलावा अन्य लोग भी शिरकत करते हैं। मौके पर सुजीत मोदक, छन्दा दे, चंद्र मंडल , बिस्वशोर टुडू, सुकदेव मिर्धा, बलाई बदयोकर, पर्बोती मरांडी सहित सैकड़ों आदिवासी लोग उपस्थित थे।
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