जयंती पर याद किए गए वीर शहीद चंद्रशेखर आजाद
25 जुलाई , वीर शहीद चंद्रशेखर आजाद के जन्म दिन पर सीआईसीसी के अध्यक्ष मनोज ने दिल से उनके प्रति सम्मान जताया तथा उनसे संबंधित उनकी वीर गथा सुनाई ।
वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे जो कि अंग्रेजों से घिरे होने के बावजूद उनके चेहरे पर निडरता, देश के लिए मर मिटने के लिए अंग्रेजों से अकेले ही लड़ रहे थे । उनके शरीर पर लगने वाला हर गोली , उनके इरादों को और मजबूत बना रही थी। ना ही चेहरे पर डर का सिकन, ना ही मौत का खौफ, उन्हें पकड़ना अंग्रेजों के लिए एक चुनौती थी।
इतने अधिक अंग्रेज पुलिस कर्मियों से घिरे होने के बाद भी ना तो अंग्रेज पुलिस उन्हें झुका पाई ना ही उनके मनोबल को तोड़ सकी। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था उनका शरीर गोलियों से छलनी हो रही थी। उन्हें अपने परिवार की चिंता नहीं थी वह सिर्फ अपने शहीद साथियों ओर भारतीय माँ के बारे में सोचते थे। उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वह मरते दम तक अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे ।
उनकी आवाज सिंह की दहाड़,उनके चहरे पर हार न मानने की ऊर्जा। यह समझने में अंग्रेजों को लंबा समय लगा। उनके बाएं कान के नीचे खून देखकर सभी ने समझा कि वह अब वह जिंदा नहीं है। उन्होंने खुद को गोली मार ली थी । उनके मरणोपरांत भी अंग्रेज के समक्ष जाने से डर रहे थे।
अंग्रेजों ने उनके शरीर पर बहुत अत्याचार किया। लेकिन आज कितने भारतीय क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद को याद करते हैं? बहुत कम लोग, वास्तव में, दोष हमारा है, हम यह सब जानने को तैयार नहीं हैं। आज आजाद जी के जन्मदिन पर याद कर उन्हें शत-शत नमन करते हैं, मैं अपने दिल से सम्मान का करता हूँ:-सीआईसीसी मनोज ।
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