कौन होंगे दुर्गापुर के अगले मेयर …?
दुर्गापुर (प० ब० ) : दुर्गापुर नगर निगम का कार्यकाल बीते 28 जून 2017 को समाप्त हो गया
नगर निगम चुनाव की तैयारियां शुरू हो गयी है.
सरकार ने आगामी 6 अगस्त निर्वाचन का प्रस्ताव रखा है.
इसके बाद से ही दुर्गापुर में राजनीति एक बार फिर से गरम हो गई है.
सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी है.
जगह जगह पर दीवाल लेखन शुरू हो गयी है.
लेकिन एक सवाल सबके दिमाग में घूम रहा है कि आखिर “कौन होंगे दुर्गापुर के अगले मेयर !”.
अपूर्व मुख़र्जी ने चुनाव लड़ने से किया इनकार
दुर्गापुर के भूतपूर्व मेयर अपूर्व मुख़र्जी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.
दुर्गापुर के राजनितिक हलकों में यह काफी चर्चा का विषय बना हुआ है.
लोग तरह-तरह के अटकले लगा रहे हैं.
हालाँकि उनके चुनाव न लड़ने के कारणों का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है
फिर भी राजनितिक जानकारों के अनुसार तृणमूल पार्टी के हित में ही उन्होंने ऐसा फैसला लिया है.
विश्वनाथ पड़ियाल ने दिया था तृणमूल को बड़ा झटका.
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनके बहुत करीबी सहयोगी “विश्वनाथ पड़ियाल” के विद्रोह कर देने के कारण दुर्गापुर क्षेत्र से तृणमूल को भारी क्षति हुयी .
“विश्वनाथ पड़ियाल” ने न केवल स्वयं कांग्रेस के टिकट पर “अपूर्व मुख़र्जी” को भारी मतों के अंतर से हराया बल्कि दुर्गापुर में तृणमूल विरोध की एक लहर फैला दी.
इस लहर का फायदा वाममोर्चा को भी हुआ और वह भी दुर्गापुर से एक सीट जीतने में कामयाब हो गयी.
चुनाव के दौरान विश्वनाथ पड़ियाल ने अपूर्व मुख़र्जी पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप भी लगाये थे.
इस घटना ने पूरे कोयलांचल में काफी हलचल मचा दी थी.
मुख़र्जी का दाहिना हाथ थे पड़ियाल
विश्वनाथ पड़ियाल को अपूर्व मुख़र्जी का दाहिना हाथ माना जाता था .
दुर्गापुर में अपूर्व मुख़र्जी के शानदार जीत के पीछे विश्वनाथ पड़ियाल की ही अहम् भूमिका को माना जाता है.
विश्वनाथ पड़ियाल और अपूर्व मुखर्जी के आपसी खींचतान में तृणमूल को काफी क्षति हुई.
चुनाव न लड़ने के अपूर्व मुख़र्जी के फैसले को तृणमूल को फिर किसी बड़े नुकसान से बचाने वाला कदम माना जा रहा है.
पड़ियाल को वापस लाना चाह रही है दुर्गापुर तृणमूल
दुर्गापुर के तृणमूल इकाई की ओर से विश्वनाथ पड़ियाल को दुबारा पार्टी में वापस लाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
इसी बीच वे विश्वनाथ पड़ियाल के कई सहयोगियों को तृणमूल में वापस लाने में कामयाब हो गयी है.
विश्वनाथ पड़ियाल दुर्गापुर की राजनीति में अपनी हैसियत साबित कर चुके हैं.
ऐसे में तृणमूल कोई भी जोखिम लेने के मूड में नजर नहीं आ रही है.
अपूर्व मुखर्जी के चुनाव न लड़ने के फैसले ने दुर्गापुर के भावी मेयर पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.
साथ ही एक नया उत्तराधिकार चुनने की असमंजस वाली स्थिति में भी डाल दिया है.
बड़ी भूमिका में जा सकते हैं पड़ियाल
यदि विश्वनाथ पड़ियाल की तृणमूल में वापसी होती है तो वो भी मेयर पद के दावेदार हो सकते हैं.
इधर विरोधी खेमे से खबर आ रही है कि नगर निगम चुनाव वाम मोर्चा और कांग्रेस मिलकर लड़ेंगे
ऐसे में यदि पड़ियाल तृणमूल में वापस आते हैं तो पहले से कमजोर विरोधी खेमा और भी कमजोर हो जायेगा.
इतनी आसान नहीं होगी वापसी
पड़ियाल का तृणमूल में वापस आना इनता आसान भी नहीं है.
वर्तमान में वे दुर्गापुर पश्चिम सीट से विधायक हैं जहाँ से उन्होंने अपूर्व मुख़र्जी को हराया था.
इसके लिए उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा.
क्योंकि “दल-बदल कानून” के तहत वे कांग्रेस के सीट पर विधायक बने रहते हुए तृणमूल पार्टी में शामिल नहीं हो सकते हैं.
ऐसे में विधायक की कुर्सी गवांकर यदि मेयर का पद मिलता है तो उनके लिए भी कोई घाटे का सौदा नहीं होगा.
लेकिन जिन लोगों ने कांग्रेस के चुनाव चिन्ह को अपना वोट दिया क्या उनके साथ यह एक छलावा नहीं होगा ?
पड़ियाल को अपने सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ-साथ अपने क्षेत्र के आम जनता को भी भरोसे में लेना होगा.
एक नया गुट खड़ा हो सकता है.
तृणमूल में विश्वनाथ पड़ियाल की वापसी से एक नए गुट के खड़े हो जाने की भी सम्भावना है.
यदि मेयर पद के लिए उन्हें चुना गया तो विरोध और भी मुखर हो सकता है.
कुछ लोग हैं जो इसका विरोध कर सकते हैं.
क्योंकि मेयर एक महत्वपूर्ण पद है ऐसे में जिसने पार्टी छोड़ दिया और फिर पार्टी में आ गए उसके लिए मेयर पद की कुर्सी देने से कुछ लोगों में नाराजगी भी हो सकती है.
Copyright protected