जाओ आज से हरी चटनी खाना शुरू कर दो कृपा आने लगेगी
भारतीय सभ्यता आरम्भ से ही आस्थावादी रही है.
भोली आस्थाओं पर पाखंडी बाबाओ ने जमकर प्रहार भी किया है.
समय-समय पर इन बाबाओ के करतूत दुनिया के सामने आते रहे हैं,फिर भी इनका क्रेज कम नहीं हुआ है.
जीवन से परेशान लोग फँसते हैं इन बाबाओं के चंगुल में
इनके पीछे के पहलुओ पर गौर करे तो यह बात सामने आती है कि आर्थिक, शारीरिक,
सांस्कृतिक समस्या से परेशान लोग किसी अलौकिक व चमत्कारिक शक्तियों की तलाश में रहते है.
वैसी शक्ति जो इन समस्याओ से जल्द छुटकारा दिला दे और ऐसी ही स्थिति में हम जा फंसते है पाखंड के माया जाल में.
कई बाबाओं कि पोल खुल चुकी है
धरती के भगवान कहलवाने वाले धर्म प्रचारकों, स्वामियों, गुरुओं को लेकर कई सनसनीखेज मामले सामने आते रहे हैं, चाहे वो कथावाचक आसाराम बापू हो या दक्षिण भारत के स्वामी नित्यानंद,
स्वामी भीमानंद, प्रेमानंद हो या बाबा राम रहीम हो.
ये सभी धर्म का सहारा लेकर महिलाओं को अपने हवस का शिकार बनाने के साथ ही
इनके कई कुकृत्य कार्यो में संलिप्तता जाहिर हो चुकी है.
हवश की शिकार महिलाओं को दिलाते हैं यकीन कि उसकी आत्मा है सबसे पवित्र
एक साध्वी के अनुसार उसके गुरु ने उससे बस इतना कहा कि जिसे वो शारीरिक स्पर्श समझ रही है वो उसके लिए आत्मा का मिलन है, चूंकि उसकी आत्मा बेहद खास है इसलिए गुरु ने उसका चुनाव किया है.
गुरु ने उससे कहा कि वो हर किसी को स्पर्श नहीं करते हैं
जो लोग बेहद खास और आत्मा पवित्र होती है उन्हें ईश्वर तक पहुंचाने के लिए वो उसे स्पर्श कर उसका मार्गदर्शक बनते हैं.साध्वी सहमत ना होते हुए भी गुरु की बातें मानने को तैयार हो गई और फिर क्या था सालों तक ये सिलसिला चलता रहा. न केवल उसके साथ बल्कि ऐसी कई खास और पवित्र आत्माओं वाली महिलाओं को गुरु जी ईश्वर तक पहुंचाते रहे.
यह एक घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाए भरी पड़ी है.
शुभ-अशुभ के प्रपंच ने अंधभक्तों की सोंचने की क्षमता पर चोट किया है
पंडे-पुजारियों ने लोगो के मन मस्तिष्क में शुभ-अशुभ और सही-गलत का ऐसा वहम पैदा कर दिया है कि इंसानों में सही गलत का फर्क करने की क्षमता ही नहीं बची है।
कही दिखावे का स्वांग तो कही डर से बाबा की भक्ति का सिलसिला जारी है.
परेशान लोगों की तलाश में रहते हैं ये बाबा
हम अध्यात्म और अंधविश्वास के बीच में गोते लगाते रहते है,
कही लोग अपनी गरीबी से परेशान है तो कोई अपनी समस्याओ को लेकर किस्मत को कोसता रहता है.
तो ऐसे में एक मात्र रास्ता उन्हें अध्यात्म की तरफ ले जाता है,
अब चूँकि लोग सीधे भगवान से नहीं मिल सकते है, तो ऐसे में किसी गुरु की आवश्यकता पड़ती है
कुछ पाखंडी बाबाओं को ऐसे ही लोगो की तलाश रहती है.
अध्यात्म और अंधविश्वास के बीच फर्क ही नहीं कर पाते हैं
जब लोग अपनी समस्याओ के बारे में बाबा को बताते है तो उनसे कहा जाता है कि “आप समौसे के साथ लाल चटनी खाते हो और हरी चटनी नहीं खाते, जाओ आज से हरी चटनी खाना शुरू कर दो कृपा आने लगेगी”
जिन्हें लगता है कि उन्हें फायदा हो रहा है वे बाबा के प्रचारक बन्न जाते हैं
कुछ को कृपा आने भी लगती है तो वो उस बाबा को भगवान समान मानने लगते हैं और फिर ऐसे बाबाओं का प्रचारक बन जाते हैं और इस तरह बाबाओं का जाल फैलता जाता है.
बाबा अपनी दिन दोगुनी और रात चौगुनी कमाई करते रहते है.
इसे अंधविश्वास ही कहेंगे कि ऐसे उल-जुलूल बातो पर लोग सहज ही विशवास कर लेते है.
महिलाएं अधिक होती है शिकार
वही इनके आकर्षण में ख़ास तौर पर महिलाएं ज्यादा फंसती है.
आप किसी भी सत्संग या बाबाओं के आश्रम में देखेंगे तो वहां ज्यादा संख्या महिलाओं की ही होती है.
दरअसल महिलाऐं ज्यादा भावुक होती हैं जो अपने घर की सुख शांति के लिए सब छोड़कर बाबाओं पर विश्वास कर लेती है. और यही से शुरू होता वासना भरा पाखंडी खेल का सिलसिला.
लोगों की बाबाओं के प्रति अंधभक्ति कम नहीं हो रही है
आये दिन पाखंडी बाबाओं का घिनोना चेहरा बेनकाब होता आ रहा है और उनके काले धंधे पकडे जा रहे हैं.
कुछ बाबाओं के तो सेक्स स्केंडल भी सामने आये हैं लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि इतनी घटनाओ के सामने आने के बावजूद भी इनके भक्तजन और अंधविश्वासी जनता का इनपर भरोसा कम नहीं होता है.
यहाँ तक कि इन पाखंडी बाबाओं के समर्थन में खड़े हो जाते हैं और कहते हैं की हमारे गुरु को झूठे इल्जाम में फंसाया जा रहा है और उन पर लगे सभी आरोप झूठे हैं.
क्यों फँसते हैं बाबाओं के जाल में यह सोंचना होगा
इतने खुलासे किसी को भी जागरूक करने के लिए काफी है।
लेकिन फिर भी वे कैसे धर्म के नाम पर पढ़ी-लिखी महिलाओं को शीशे में उतार कर सम्भोग की वस्तु बना डालता हैं?
क्यों ये महिलाएं वासना से भरे इन बाबाओं के जाल में फंसती है? यह आज हमारे समाज को सोंचना होगा।
इन बाबाओं के पाखंड के लिए भक्त ही जिम्मेदार
कही न कही हम लोग खुद इन पाखंडी बाबाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
जो इनकी बकवास बातों को सुनते हैं और अपने भीतर ग्रहण करते हैं.
हमें यह समझना होगा कि हम हमारे जीवन की मुसीबतों से खुद ही निकल सकते हैं ।
बाबा द्वारा बताये गए हास्यास्प्रद समाधान अपनाकर जीवन को और भी नारकीय बना देंगे .
सभी बाबा पाखंडी नहीं हैं
हालाँकि ऐसा नहीं है की सभी धर्मगुरु या बाबा पाखंडी हों.
लेकिन आज के पाखंडी बाबाओं पर आँख बंद करके भरोसा करना और सिर्फ इन्हीं पर आश्रित हो जाना कतई सही नहीं.
आध्यात्म के लिए किसी बाबा की जरूरत नहीं
अगर हमें धर्म और ईश्वर में आस्था है तो हम ईश्वर की आराधना घर पर भी कर सकते हैं।
हम लोगों की कमजोरी और आत्मविश्वास की कमी का ही ये पाखंडी बाबा फायदा उठाते हैं।
धर्म बेचकर बाबा दिन रात अमीर होते जाते हैं और ऐशो आराम की जिंदगी जीते हैं और भक्त जहां थे वही रह जाते हैं।
पढे – लिखे और रसूखदार लोग ही होते हैं अधिक शिकार
आश्चर्य की बात तो ये है की सिर्फ गरीब, अनपढ़ लोग ही नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोग और बड़ी बड़ी हस्तियां भी ऐसे ढोंगी बाबाओं के चंगुल में फंस जाते हैं.
वोट बैंक भी बनाते हैं बाबा
राजसत्ता के लोग भी इन बाबाओ के मुरीद होते है, ताकि इनका वोट बैंक बना रहे.
चूँकि इनके काफी भक्त होते है जो इनके कहने पर कही भी अपना कीमती मतदान कर देते है.
जिसके कारण पुलिस इनसे दूर ही रहने में अपनी भलाई समझती है.
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