welcome to the India's fastest growing news network Monday Morning news Network
.....
Join us to be part of us
यदि पेज खुलने में कोई परेशानी हो रही हो तो कृपया अपना ब्राउज़र या ऐप का कैची क्लियर करें या उसे रीसेट कर लें
1st time loading takes few seconds. minimum 20 K/s network speed rquired for smooth running
Click here for slow connection


चैत्र नवरात्रि 2021: सातवें दिन करें माँ कालरात्रि की उपासना, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

चैत्र नवरात्रि का समापन होने में दो दिन ही शेष रहे हैं। माँ के 6 स्वरूपों की पूजा हो चुकी है। वहीं 19 अप्रैल सोमवार को माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की उपासना की जाएगी। माँ कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मिृत्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और धुमोरना देवी के नाम से जाना जाता है।

ये सदैव शुभ फल देने वाली माता के रूप में पूजी जाती है। इनकी पूजा से संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है और इनकी शक्ति प्राप्त कर भक्त निर्भय और शक्ति संपन्न महसूस करता है। मान्यता है कि कालरात्रि माँ की पूजा करने से शनि ग्रह के विष योग जनित ग्रह दोष दूर होते हैं और मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इनके स्वरूप और पूजा विधि के बारे में।

चैत्र नवरात्रि: जानें किस दिन होगी किस स्वरूप की होगी पूजा
मां कालरात्रि का स्वरूप माता कालरात्रि के शरीर का रंग घनघोर काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में बिजली सी चमकने वाली माला है। ये त्रिनेत्रों वाली हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के सामान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ(गधे) की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है यानि भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो।

बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही कितना भी भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली देवी हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत होने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं। इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है। उनके दर्शनमात्र से भक्त पुण्य का भागी बनता है।

अप्रैल 2021: इस माह में आएंगे ये महत्त्वपूर्ण व्रत व त्यौहार
पूजा विधि

-नवरात्रि के सातवें दिन सुबह स्नानादि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

-इसके बाद माँ कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अर्चना करें।

-देवी को अक्षत्, धूप, गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का नैवेद्य आदि विधिपूर्वक अर्पित करें।

-अब दुर्गा आरती करें।
-इसके बाद ब्राह्मणों को दान दें, इससे आकस्मिक संकटों से आपकी रक्षा होगी।

-सप्तमी के दिन रात में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है।

Last updated: अप्रैल 19th, 2021 by Arun Kumar
Arun Kumar
Bureau Chief, Jharia (Dhanbad, Jharkhand)
अपने आस-पास की ताजा खबर हमें देने के लिए यहाँ क्लिक करें

पाठक गणना पद्धति को अब और भी उन्नत और सुरक्षित बना दिया गया है ।

हर रोज ताजा खबरें तुरंत पढ़ने के लिए हमारे ऐंड्रोइड ऐप्प डाउनलोड कर लें
आपके मोबाइल में किसी ऐप के माध्यम से जावास्क्रिप्ट को निष्क्रिय कर दिया गया है। बिना जावास्क्रिप्ट के यह पेज ठीक से नहीं खुल सकता है ।
  • पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण खबरें



    Quick View


    Quick View


    Quick View


    Quick View


    Quick View


    Quick View
  • ट्रेंडिंग खबरें
    ✉ mail us(mobile number compulsory) : [email protected]
    
    Join us to be part of India's Fastest Growing News Network