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भूख और बीमारी से मरी एक और महिला, सरकारी तंत्र हुआ फ़ैल

सरकार की गरीबी हटाओ का दावा विफल

धनबाद। सरकार गरीबी हटाने की लाख दावा करे लेकिन समय-समय पर भूख और बीमारी से मरने के मामले सामने आते ही रहते हैं। शनिवार को बांसजोड़ा 12 नंबर में ऐसा ही एक प्रकाश में आया है। सारथी महताइन नामक महिला बेरहम सरकारी तंत्र की भेंट चढ़ गई। बीमारी और भूख से उसकी मौत हो गई। बुजुर्ग महिला रहती तो थी बांसजोड़ा 12 नंबर में लेकिन राशन लाने के लिए उसे तीन किलोमीटर दूर जोगता जाना पड़ता था। समीप के जनवितरण प्रणाली की दुकान में उसे राशन मिल जाता तो शायद आज यह स्थिति पैदा नहीं हुई होती। मौके पर थानेदार अमित कुमार गुप्ता व पार्षद महाबीर पासी पहुँचे। पड़ोसियों ने चंदा कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। वृद्ध महिला का इस दुनिया में कोई नहीं है। वह 15 वर्षीय की पुत्री के साथ रहती थी।

आर्थिक तंगी और भूख ने उसका पीछा नहीं छोड़ा

जब तक वह स्वस्थ रही दूसरे के घरों में काम व मांग चांग कर तथा जन वितरण प्रणाली की दुकान से राशन लाकर व वृद्धा पेंशन से अपनी बच्ची के साथ गुजर बसर कर रही थी। चार माह पहले वह बीमार पड़ गई। इसके बाद वह न तो काम कर पायी और न ही राशन ला पाई और न ही वृद्धापेंशन उठा पाई। चार माह से मृतका बीमारी के साथ आर्थिक तंगी और भूख से जूझ रही थी। पुत्री ने पढ़ाई के साथ-साथ किसी तरह दूसरे के घरों में काम कर जहाँ तक हो सका अपनी मां की देखभाल की। आर्थिक तंगी और भूख ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। समय पर समुचित इलाज नहीं होने के साथ सही से भोजन नहीं मिलने पर इस दुनिया को छोड़ कर चल बसी। किशोरी अब घर में अकेली रह गई। पुलिस उसकी देखभाल के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन में भेज देने की तैयारी कर कर रही है।

एक बार फिर से अनाथ हो गई बेटी

15 साल बाद आशा कुमारी एक बार फिर अनाथ हो गई। तब आशा छह माह की थी। लावारिस हालत में बांसजोड़ा रेलवे स्टेशन में मां मां की चीख पुकार सुनकर सारथी उसके पास गई। सारथी अकेले की जिंदगी जी रही थी। उसका कोई नहीं था। गाँव वालों के अनुसार सारथी नन्ही आशा को पाकर खुश थी। दोनों एक दूसरे का सहारा बनी। मां बेटी का गहरा हो चुका था। आशा को पढ़ाया जा रहा था। एक आंख से दिव्यांग आशा लोयाबाद बीजीएस हाइ स्कूल में पढ रही है। सारथी की मौत ने उसे एक बार फिर अनाथ बना दिया।

अंगूठा के निशान के बिना नहीं मिलता राशन: पार्षद

पार्षद महाबीर पासी ने कहा कि मृतक महिला का राशन कार्ड था। यहाँ से तीन किलोमीटर दूर जोगत के डीलर के पास राशन मिलता है। बिना अंगूठे निशान के राशन नहीं दिए जाने का प्रवधान है। इसलिए सारथी को चार माह से राशन नहीं मिल पाया। आशा कुमारी को चाइल्ड संस्था को सिपुर्द किया जाएगा। संस्था के पदाधिकारियों से संपर्क किया गया है

Last updated: अप्रैल 29th, 2018 by News Desk

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