रमजान के तरावीह की नमाज में क़ुरआन की तिलावत मुकम्मल होने पर चयकलां की जामा मस्जिद में सजी महफिल।
प्रखंड में मंगलवार को रमजान के 26 वें रोजे पूरे हो गए । 26 वां रोज़ा तथा माहे रमजान की 27 वीं शब के अवसर पर चयकलां पंचायत में स्थित जामा मस्जिद में तरावीह की नमाज़ में कुरआन की तिलावत हाफ़िज़ नूर आलम साहब ने मुकम्मल किया। इस अवसर पर मस्जिद में विशेष इंतजाम किए गए थे। मस्जिद में विशेष रोशनी के साथ ही तरावीह की विशेष नमाज़ के बाद मिठाई वितरित भी की गई। इमाम जामा मस्जिद हाफ़िज़ नूर आलम और एतिकाफ में बैठे मास्टर सफीक अहमद एवं अन्य लोगों को पगड़ी बांध कर सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है की चयकलां के जामा मस्जिद में हर साल तरावीह की नमाज़ में हाफिज नूर आलम साहब ही कुरआन सुनाते आ रहे हैं। जो आज अपनी तिलावत मुकम्मल किए। इस मौके पर हाफ़िज़ साहब को तोहफों आदि इनामो-इकराम से नवाजा गया। 27 दिन की तरावीह की नमाज अदा करने के बाद चयकलां के जामा मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ नूर आलम साहब ने मुल्क की तरक्की और भाई चारगी और अम्नो अमान के लिए व सभी कि रोजी रोजगार में बरक्कत के लिए दुआएं की।
गौरतलब रहे कि हाफिज माहे रमज़ान में आयोजित होने वाली विशेष तरावीह की नमाज़ में कुरआन सुनाते हैं। हाफिज उसे कहा जाता है जो बिना देखे कुरआन की तिलावत कंठस्थ किया करते हैं। अधिकांश मदरसों में दस – बारह साल से 15-16 साल की उम्र तक के तालिबे इल्म कुरआन कंठस्थ कर लेते हैं।
महफिल में नातखां हजरात ने नात पढ़ा। तकरीर भी हुआ। रमजान के महीना में विषेश नमाज तरावीह में कुरान मुकम्मल होने पर हुई महफिल में तकरीर करते हुए मौलाना कफील अहमद कैफ़ी साहब ने फरमाया कि वह लोग खुशनसीब हैं जिनको तरावीह में अल्लाह का कलाम क़ुरआन सुनने के लिए मिला। बहुत खुश नसीब हैं वो लोग जो तरावीह के नमाज में पुरे क़ुरआन मजीद सुनें। आगे इन्होंने कहा कि अल्लाह ने कुरान के बारे में फरमाया है कि हमने ही इसको नाजिल किया है हम ही इसकी हिफाजत करेंगे। आगे उन्होंने कहा कि हर मुसलमान को रोजा रखना चाहिए और अल्लाह की इबादत करनी चाहिए। इस मौके पर इमाम जामा मस्जिद हाफ़िज़ नूर आलम, खतीब जामा मस्जिद मौलाना शकील अहमद अशरफी, मौलाना कफील अहमद कैफ़ी, सदर आसिम रज़ा, मुखिया प्रतिनिधि मौलाना हेलाल अख्तर, पंसस फैजान अजमेरी, मौलाना शमा अख्तर नेज़ामी, बदरुद्दीन अहमद, सिकंदर रजा, शमी अख्तर, मुज़्तरुल क़ादरी, शमशेर आलम, महमूद अहमद मटन, खुशतर नेज़ामी आदि लोग के अलावा मस्जिद कमेटी के लोगों के साथ-साथ गांव के लोग भी उपस्थित थें।
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