कहाँ है सरकार की मज़दूर स्पेशल रेल? सात दिन की पैदल यात्रा कर दिल्ली से डीबुडीह तक पहुँचे मज़दूर
सालानपुर मज़दूरों के लिए सरकार की ओर से रेल की सौगात आज सड़क की दृश्य देखकर महज मजाकियाँ प्रतीत होती है। शुक्रवार को दिल्ली से पैदल भूखे प्यासे पश्चिम बंगाल की सीमा डीबुडीह चेकपोस्ट तक पहुँचे मज़दूरों की दुर्दशा सरकार की सक्रियता हर दावे को खोखला साबित करती है। दिल्ली से डीबुडीह तक पहुँचे 4 मज़दूरों ने कहा बीते 7 दिनों से पैदल चल कर एवं एवं कुछ जगहों पर ट्रक की सहायता से आज बंगाल झारखंड की बॉर्डर डीबुडीह चेकपोस्ट तक पहुँचा हूँ।
यहाँ पहुँचे सभी श्रमिक पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिला निवासी है। सभी रोजी रोटी की तलाश में दिल्ली गए थे। लॉक डाउन के बाद से ही दिल्ली में बड़ी कठिनाई से भोजन का इंतजाम कर पा रहे थे।
अन्ततः थक हार कर पैदल ही घर लौटने का निर्णय लिया, जिसके बाद सभी लोग 7 दिन बाद बंगाल सीमा तक पहुँचे, मज़दूरों की दुर्दशा कुछ ऐसी थी न ही खाने का सामान साथ में, और ना ही पास में पैसे ऐसी स्थिति में भी घर पहुँचने की दृढ़ इच्छाशक्ति ने कड़कती धूप को भी परास्त कर दिया।
किन्तु सवाल उठता है कि सरकार जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है, तो ये बेचारे मज़दूर पैदल यात्रा क्यों कर रहे है? इधर डीबुडीह चेकपोस्ट पर पहुँचते ही सभी मज़दूरों की बंगाल प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य जाँच के बाद एसबीएसटीसी बस के माध्यम से उनके जिला मुर्शिदाबाद भेज दिया गया, जबकि स्थानीय पुलिस द्वारा कुछ कहने पीने की भी व्यवस्था की गई।
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