गीता ज्ञान गंगा सत्संग में गीता के दशम अध्याय की व्याख्या
श्री श्री सीताराम जी मंदिर में सप्ताह व्यापी भक्तमाल एवं श्री गीता ज्ञान गंगा सत्संग कथा के तीसरे दिन गुरुवार को दिल्ली से पधारें श्री राम जी भाई ने दशम अध्याय की व्याख्या करते हुए कहा कि इस अध्याय में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि मैं तुझे जो सुना रहा हूँ यह वेदों का सार है ।
दुनिया में जो कुछ भी है उसका बीज में ही हूँ मेरे से ही सारी सृष्टि उपजती है और मुझ में ही लीन हो जाती है । श्री राम जी भाई ने बताया कि जीव मात्र को चाहिए हम सबके लिए ,संतों का, महंतो का, एवं फकीरों की सेवा करके भगवान के प्रसंता का मार्ग सीखें। भगवान के लिए किया गया कर्म मोक्ष देता है एवं अपने लिए किया गया कर्म बंधन देता है।
संत नामदेव जी सबके लिए भगवान के लिए करते थे । चैतन्य महाप्रभु, स्वामी नित्यानंद ,स्वामी रामकृष्ण परमहंस यह सभी संत भगवत सेवा रूप कर्म करके ब्रह्म पद को प्राप्त कर गए हैं । आओ हम भी सत्कर्म करें।
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