रोबिन बनर्जी पर कार्यक्रम रद्द होने से नाराजगी
राजनीति का शिकार हुआ संगीतमय आयोजन : पारो शैवलिनी
आसनसोल के एक वरिष्ठ पत्रकार,लेखक व समाजसेवी पारो शैवलिनी को इस बात का बेहद अफ़सोस है कि उनके द्वारा आयोजित होने वाला एक संगीतमय आयोजन यहां की राजनीति गंदी राजनीति का शिकार हो गया जिसकी वजह से उन्हें अपना यह संगीतमय आयोजन को फिलहाल रद्द करना पड़ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार ने मंडे मॉर्निंग को यह जानकारी देते हुए बताया, हिंदी सिनेमा जगत के जाने-माने संगीतकार दिवंगत रोबिन बनर्जी की ८०वीं जन्म जयंती पर उन्होंने साहित्य एवं सांस्कृतिक फलक को समर्पित संस्था किसलय के बैनर से एक संगीतमय आयोजन की शुरुआत की थी जो २२ दिसमंबर को होना था।
बेबाक लेखनी का खामियाजा भुगतना पड़ा
पारो शैवलिनी ने बताया कि वो आसनसोल की राजनीति पर वो बे-बाक होकर लिखते रहे हैं। यही कारण है कि जहां यह कार्यक्रम होना तय था वहां से किसी अपरिहार्य कारणवश कार्यक्रम के लिए जगह देकर भी उन्हें ना कर दिया गया। पत्रकार ने बताया, उन्होंने यह आयोजन फिहाल एक-दो महीने के लिए टाला है। संभवतः फरवरी महीने में वो इसी आयोजन को आसनसोल में ही अन्यत्र करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
70-80 दशक में फिल्म जगत की एक प्रसिद्ध हस्ती थे रॉबिन बनर्जी
बताते चलें, जाने-माने संगीतकार दिवंगत रोबिन बनर्जी से वो भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। लगभग २४ वर्षों का उनका पारिवारिक संबंध रहा है संगीतकार से। हिंदी सिनेमा में १९६० की फिल्म मासूम से संगीतकार रोबिन बनर्जी चर्चा में आये। बाद में, सखी रोबिन, रुस्तम कौन, आंधी और तूफ़ान, फिर आया तूफ़ान, मारवेल मैन, जैसी ५० स्टंट फिल्मों में भी सुमधुर गीतों की रचना कर हिंदी सिनेमा जगत में अपनी पहचान बनाई। लोकप्रिय गीतकार योगेश को रोबिन बनर्जी ने ही अपनी फिल्म सखी रोबिन से स्थापित किया जो बाद में आनंद, मिली, रजनीगंधा,छोटी सी बात आदि के गीत लिखे। रोबिन बनर्जी ८० के दशक में बंगला सिनेमा में आये और संघात, श्रृंखल, जय पराजय, किडनेप, गायक, हिरेर सिकोल जैसी १३ फिल्मों में के लिए संगीत रचना की।
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