अस्सी के दशक में स्थापित यूनानी अस्पताल में न बैठते हैं चिकित्सक और न मिलती है दवाईयां
लाखों रुपए के नए भवन के औचित्य पर सवाल
संवाद सूत्र,पालोजोरी । देवघर -प्रखंड क्षेत्र के बसाहा में लगभग अस्सी के दशक में स्थापित राजकीय यूनानी अस्पताल में वर्षों से न कोई चिकित्सक बैठे हैं और न किसी को दवाई ही मिली है। उसके बावजूद लाखों रुपए से यूनानी अस्पताल का नया भवन बन जाना कई सवालों को जन्म देता है।
स्थानीय लोग का कहना है कि झारखंड बनने से पहले यहाँ चिकित्सक द्वारा बीमार ग्रामीणों का इलाज किया जाता था। साथ ही दवा भी दी जाती थी। झारखंड राज्य बनने के बाद यह यूनानीअस्पताल शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। नया अस्पताल बनने के कुछ दिनों तक एक यूनानी कर्मी (कंपाउंडर) यहाँ बैठा करते थे। मगर अस्पताल में दवा नहीं रहने के कारण उन्होंने भी यहाँ आना छोड़ दिया। एक तरफ जहाँ बसाहा का यूनानी अस्पताल विभागीय उपेक्षा का शिकार तो बना हुआ है ही, दूसरी तरफ पंचायत प्रतिनिधि यों ने भी आजतक कोई पहल नहीं कि है। बसाहा के ग्रामीण विरासत में मिले यूनानी अस्पताल के खत्म होते अस्तित्व को लेकर काफी हताश हैं।
वहीं इस यूनानी अस्पताल में बसाहा, चंदा नवाडीह,सारठ, मिश्राडीह, लोधरा सहित दर्जनों गाँव के बीमार लोग यहाँ इलाज के लिए पहुँचते थे। बीस सूत्री सदस्य बबीता देवी, मनोज तिवारी, सचिदानंद तिवारी,राजू पंडित,भीम यादव,राम लोचन तिवारी,अनूप तिवारी,विमल तिवारी ने यूनानी अस्पताल में पुनः चिकित्सक प्रतिनियुक्त करने की मांग की है ताकि यहाँ के लोगों को यूनानी अस्पताल का लाभ मिल सके।
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