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भाजपा द्वारा बुलाये गए बंद का कोई असर नहीं

सरकारी व निजी प्रतिष्ठाने खुली रही

आसनसोल -बुधवार को प्रदेश भाजपा द्वारा बुलाये गए 12 घंटा व्यापी आहूत बंद का शहर में आंशिक असर दिखा. लेकिन बंद की घोषणा और पूर्व में किये गए रैली और सभाओं के माध्यम से लोगों तक जानकारी पहुँच गई थी. इसलिये कुछ लोग भय से बाहर नहीं निकले. सरकारी व निजी प्रतिष्ठाने खुली रही. बसे व निजी वाहने अन्य दिनों की तरह ही चली. कुछ जगहों पर बंद समर्थकों और विरोधियो में झड़प होने की खबर है. मालूम हो कि दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर में एक छात्र आन्दोलन के दौरान दो छात्रों की मौत हो गयी थी. भाजपा का कहना है कि छात्रों की मौत पुलिस की गोली से हुई है, जबकि पुलिस के उच्चाधिकारी पुलिस द्वारा गोली चलाये जाने से इंकार कर रहे है.

बंद के विरोध में तृणमूल समर्थक

भाजपा और तृणमूल समर्थक सड़क पर

भाजपा इसका राजनीतिक फायदा उठाते हुए, राज्य की सत्ता दल पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर दबाव बनाने के मौके गंवाना नहीं चाहती, जिसके फलस्वरूप बुधवार को बंगाल बंद का आह्वान भाजपा द्वारा किया गया था. आज भाजपा समर्थक बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर उतरे थे और तृणमूल समर्थक बंद को विफल करने का प्रयास कर रही थी. इसलिय कई जगहों पर छिटपुट हिंसक घटनाएं हुई. लेकिन पुलिस-प्रशासन की तत्परता से मामला शांत ही रहा. नियामतपुर में बंद समर्थक भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर टायर जलाकर व जय श्रीराम का नारा लगाते हुए सड़क जाम करने का प्रयास किये, पुलिस द्वारा समझाने पर वे लोग अड़े रहे,

पुलिस ने की लाठी चार्ज

जिसपर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके भाजपाइयो को तितर-बितर कर दिया और दूकानदारों को दुकानें खुली रखने को कहा, जिसके बाद सभी दुकानें खुल गई. बर्नपुर और आसनसोल में पुलिस ने बंद समर्थकों को हिरासत में ले लिए. दुर्गापुर में भी बंद का कुछ असर नहीं दिखा. देखा गया कि बस चालकों द्वारा बस परिचालन करने पर तृणमूल समर्थकों ने सभी को मिठाई खिलाकर स्वागत किया.

लोगों ने कहा राजनीतिक हथकंडा

हालांकि बंदी और आतंक के भय से कई लोग बाजार आने से बचते रहे, लेकिन स्कुल-कॉलेज आदि खुले रहे और सरकारी कर्मचारी भी अन्य दिनों की तरह कार्य पर आये. कुछ बसे नहीं चली जिससे बसों की कमी देखि गई. इस कारण यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी. आज के बंद को लेकर खासकर आम लोगों में काफी नाराजगी देखि गई.

बंद समर्थको को सुरक्षा देती पुलिस

आम लोगों में काफी नाराजगी

लोगों का कहना था कि एक तो वैसे ही मंहगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहे है और उसपर से यदि इस तरह से बंदी कर आतंक मचाया जायेगा तो हमलोग भूखो मर जायेंगे. हमलोग रोज कमाने-खाने वाले है. कुछ ने कहा कि बंद की राजनीति बंद होनी चाहिए, ये सिर्फ राजनीतिक पार्टियो द्वारा जनता हित का नाम देकर अपना हित साधने का हथकंडा मात्र है, यदि इन्हें जनता की रत्ती भर भी चिंता होती तो ये लोग कभी बंद का रास्ता नहीं चुनते. क्योंकि बंदी से खासकर आम जनता को ही परेशानी होती है और सरकारी राजस्व को नुकसान पहुँचता है, तो देश को नुकसान होता है.

आमरण अनशन क्यों नहीं करते

यदि आपको आंदोलन ही करना है तो आप आमरण अनशन कीजिये, सचिवालय का घेराव कीजिये या फिर मुख्यमंत्री और राज्य के सभी मंत्री, सांसद व विधायक के घरों का घेराव कीजिये. लेकिन सड़क पर उतरकर आतंक मत मचाइए, इससे जनता को परेशानी होती. वैसे भी देश हर स्तर पर रसातल में जा रहा है, उसपर से ये बंद और हड़ताल देश को बर्बाद कर देगा.

बंद से फायद किसका हुआ

यदि सही में राजनीतिक पार्टियाँ जनता और देश का हित चाहती है, तो कृपया हड़ताल व बंद ना करे. आज ट्रेन, बस आदि को रोका गया, कई दुकानें बंद रही, यात्री नदारत रहे, तो सोचे जरा किसका फायदा हुआ, जनता का या नेताओं का. जनता को अपने मसले लेकर पीएमओ या सीएमओ में जाने की इजाजत नहीं है, तो फिर आपलोग सड़क पर आकर जनता को क्यों परेशान करते हो.

Last updated: सितम्बर 26th, 2018 by News Desk

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