निर्जला उपवास के साथ एतवारी बड़ा छठ संपन्न
चौपारण प्रखंड सहित पूरे झारखंड-बिहार व अन्य प्रदेशों में आस्था के महापर्व छठ को मन्नतों का त्यौहार कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है। चार दिवसीय छठ पूजा संपन्न होने के बाद रविवार शाम एतवारी बड़ा छठ के नाम से भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर अर्घ्य देकर मनाया जाता है। नहाय खाय के साथ ये महापर्व शुरू हो गया। पूजा चार चरणों में संपन्न होती है।
क्यों महत्त्वपूर्ण माना जाता है सूर्य पूजन?
सूर्य को ग्रंथों में प्रत्यक्ष देवता यानि ऐसा भगवान माना गया है। जिसे हम खुद देख सकते हैं। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसकी किरणों से विटामिन डी जैसे तत्व शरीर को मिलते हैं। दूसरा सूर्य मौसम चक्र को चलाने वाला ग्रह है। ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो सूर्य आत्मा का ग्रह माना गया है। सूर्य पूजा आत्मविश्वास जगाने के लिए की जाती है।
सूर्य की बहन हैं छठ माता : माना जाता है कि छठ माता सूर्यदेव की बहन हैं। जो लोग इस तिथि पर छठ माता के भाई सूर्य को जल चढ़ाते हैं। उनकी मनोकामनाएँ छठ माता पूरी करती हैं। छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है।
छठ पूजा के लिए व्रत करने वाले व्रती करीब 36 घंटे तक बिना अन्न-पानी के रहकर आराधना करते है। सप्तमी की सुबह सूर्य पूजा के बाद व्रत खोला जाता है और अन्न-जल ग्रहण किया जाता है।
ये है छठ व्रत की कथा : छठ व्रत का कथा सतयुग की है। उस समय शर्याति नाम के राजा थे। राजा की कई पत्नियाँ थीं। लेकिन बेटी एक ही थी। उसका नाम था सुकन्या।
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