आजादी के बाद बंगाल में उर्दू अफसाना का आयोजन
रानीगंज -पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी की ओर से त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज के उर्दू विभाग के सहयोग से शनिवार को कॉलेज परिसर में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार जिसका विषय आजादी के बाद बंगाल में उर्दू अफसाना का आयोजन हुआ। सेमिनार में कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉक्टर शाहनवाज नवी, हुगली मोहसिन कॉलेज के उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ.शाहिद अख्तर, पश्चिम बंगाल दूरदर्शन विभाग के डायरेक्टर अनीश राशि, विनोवा भावे विश्वविद्यालय के रेन रामीस, रानीगंज गर्ल्स कॉलेज के मोहम्मद फारूक आजम, बैरकपुर के डॉक्टर मोहम्मद अफजल मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे. डॉ.शाहिद अख्तर ने कहा कि उर्दू को बढ़ावा देने में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, भारत के इतिहास और संस्कृति का अटूट हिस्सा रही उर्दू जुबान, अब आम लोगों की जुबान बन गई है. प्रोफेसर डॉक्टर शाहनवाज नवी ने कहा कि पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी के प्रोफेसर पश्चिम बंगाल के सभी कॉलेजों के उर्दू विभागों में लगातार सेमिनार कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य उर्दू विषय का विकास करना है. दूरदर्शन विभाग के डायरेक्टर अनीश राशि ने कहा कि उर्दू महत्त्व की भाषा है जिसके पास समृद्ध साहित्य है यह किसी धर्म विशेष की भाषा ना होकर आम आदमी की भाषा है. उर्दू मिठास और तहजीब की भाषा अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से भी इस भाषा का काफी महत्त्व है. उन्होंने छात्राओं से कहा कि उर्दू में शोध कार्य करने के लिए भी यूजीसी कई तरह की छात्रवृतियाँ प्रदान करती है देश एवं विदेश में विभिन्न मंत्रालयों में उर्दू अनुवादक का पद निर्धारित है. अन्य भाषा के साथ उर्दू डिग्री वाले इस पद के हकदार बन सकते हैं.
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