13 वर्षों से अपने पीएफ व पेंशन के पैसे के लिए बासदेवपुर कोलियरी का चक्कर काट रहे हैं, 73 वर्षीय महेन्द्र सिंह
लोयाबाद। आँखों से ठीक से दिखाई नहीं देता, चलने में असमर्थ है फिर भी13 वर्षों से कोलियरी के चक्कर काट रहे हैं, 73 वर्षीय महेन्द्र सिंह। मामला बासदेवपुर कोलियरी से जुड़ा है।
बासदेवपुर कोलियरी में जनरल मजदूर के पद पर कार्यरत रहे महेन्द्र सिंह वर्ष 2008 में सेवानिवृत्त हो गए। जिनका पर्सनल नंबर 01404326 है। सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने गाँव औरंगाबाद बिहार चले गए। अब 13 वर्षों से वे अपने पीएफ व पेंशन के पैसे भुगतान के लिए औरंगाबाद से बासदेवपुर कोलियरी व सिजुआ एरिया तक के चक्कर काट रहे है। कोलियरी व एरिया में बाबुओ से लाख मिन्नतो के बावजूद उनका काम नहीं हो रहा है।
कोलियरी में पीएफ व पेंशन का उनका करीब तीन लाख रुपए बकाया है। अब स्थिति ऐसी है कि वे एक एक पैसे के मोहताज हो गए है। अप्रैल में उनकी पोती की शादी है पर पैसे के अभाव में वह भी अधर में लटकी हुई है।नौबत यह आ गई है कि पैसे की जुगत के लिए अब वह अपना पुश्तैनी खेत बेचने को मजबूर है।अगर कोलियरी से उनका पीएफ के पैसे का भुगतान नहीं हुआ तो उन्हें खेत बेचना पड़ेगा पर उनकी यह दुःख भरी दास्तान सुनने वाला बीसीसीएल में कोई नहीं है।वह पीएफ व पेंशन संबंधी कागजो से भरा थैला लिए इधर से उधर भटक रहे है।
मामले में बासुदेवपुर कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी सतेन्द्र सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी उन्हें नहीं है। मामले की जानकारी लेकर उनका काम कराया जाएगा।

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