‘जीव कितना भी पुरुषार्थवान हो अगर वह भगवद् भयाश्रित न हो तो सफल नहीं होता’ शतचंडी महायज्ञ में प्रवाचिका बहन रामायणी जी
लोयाबाद। जीव कितना भी पुरुषार्थवान हो अगर वह भगवद् भयाश्रित न हो तो सफल नहीं होता। उक्त बातें बुधवार को बांसजोड़ा में चल रहे शतचंडी महायज्ञ में प्रवाचिका बहन रामायणी जी ने कही। बहन रामायणी जी ने अपने माधुर्यपूर्ण वाणी से पवित्र ग्रंथ श्रीरामचरित्र मानस की कथा के महामुनि विश्वामित्र जी का सप्रसंग की ब्याख्या करते हुए कहा कि गुरुजी के चरण कमलों की रज से अपने मन रूपी दर्पण को साफ करके मैं रघुनाथजी के उस निर्मल यश का वर्णन करती हूँ जो चारों फलों को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) देने वाला है। उन्होंने श्रीराम विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि “जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए” भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी”
जब से श्रीरामचन्द्रजी विवाह करके घर आए है। तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं। आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे है।
नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्रीरामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं। यज्ञ को सफल बनाने में यज्ञ कमिटी के सचिव राजकुमार महतो,असलम मंसूरी, रवि चौबे, पुनीत सिंह, श्रवण यादव, मनोज कुशवाहा, संतोष तिवारी, कृपा शंकर सिंह, मनोज मुखिया, मुकेश साव, रामा शंकर महतो, शंकर तुरी, राजेश गुप्ता, विनोद विश्वकर्मा, गौतम रजक, शिबलू खान, राहुल पांडे आदि सराहनीय योगदान दे रहे हैं।
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