सिंदूर खेला रस्म के साथ माँ को दी विदाई
विजया दशमी के अवसर पर सालानपुर चित्तरंजन के विभिन्न दुर्गापूजा क्लबों में महिलाओं द्वारा सिंदूर खेला की रस्म अदा की गई. जोरबारी स्थित सार्वोजनिन दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष जयदेव महतो ने बताया कि विजय दशमी के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन से पहले सजाया और सिंदूर से वरण किया जाता है. इसके बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाया जाता है. इस अवसर पर विवाहित महिलाओं ने सबसे पहले देवी दुर्गा को सिंदूर लगाकर पूजा अर्चना की.
उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाया. इस सिंदूर खेल का रस्म ज्यादातर बंगाली समाज में प्रचलित है. सुहागिन महिलायेंं मां को सिंदूर लगाने के बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाती है. इस दौरान महिलाओं ने जमकर ज़श्न मनाया. सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है और ऐसी मान्यता है इससे पति की उम्र लंबी होती है. इसके साथ ही मां दुर्गा की विदाई की तैयारी की गई. देर शाम आसचे बोछोर आबार होबे।
अगले बरस फिर होगा के जयघोष के बीच शहर के बीच से शोभायात्रा निकालने के बाद विसर्जन किया गया. भावुकता और उत्साह के बीच देवी दुर्गा को सिंदूर लगाते हुए महिलायेंँ काफी भावुक दिखी. विदाई के इस पल में ढाक की धुन पर उत्साह और उमंग का वातावरण दिखाई दिया. मां से अगले साल फिर आने की कामना की गई. माँ से घर और परिवार में सुख और समृद्धि की कामना की गई. माँ के सामने नाच-गाकर अपने सुहाग की रक्षा के लिए आशीर्वाद भी मांगा.
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