राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर आवारा पशुओं का आतंक: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब राज्य सरकार की कार्यशैली पर सबकी निगाहें
आसनसोल: राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-19 (NH-19) इन दिनों आवारा पशुओं के लिए चारागाह बन गया है, जिसके चलते सड़क दुर्घटनाएं एक आम बात हो गई है। डिबुडीह से लेकर आसनसोल तक वाहन चालकों को बेहद सचेत होकर चलना पड़ता है, क्योंकि इन आवारा पशुओं के कारण कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
व्यवस्था पर सवाल: जिम्मेदार कौन?
सड़क की देखभाल के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), यातायात के लिए राज्य सरकार की ट्रैफिक पुलिस, कानून व्यवस्था के लिए राज्य पुलिस, ओवरलोडिंग के लिए एमवीआई, और यहां तक कि जीएसटी और आबकारी विभाग भी सक्रिय हैं।
लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस पूरी फेहरिस्त में से किसी भी विभाग को इन आवारा पशुओं से कोई लेना-देना नहीं है।
ट्रैफिक विभाग सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान दुर्घटना पर जागरूकता के पाठ पढ़ाता है, लेकिन आवारा पशुओं का ज़िक्र तक नहीं करता।
ट्रैफिक और पुलिस विभाग की पैनी नज़र हेलमेट, सीट बेल्ट, ट्रिपल लोड, ड्रंक एंड ड्राइव जैसी चीज़ों पर तो रहती है, लेकिन सड़क पर घूमते इन खतरों पर उनकी आँखें बंद हैं।
सर्वोच्च न्यायालय का अहम निर्देश
इस गंभीर समस्या को देखते हुए अब सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने आवारा कुत्तों के एक मामले की सुनवाई करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त आदेश दिया है:
सड़क खाली करें: सभी आवारा पशुओं को सड़कों, राज्य के हाईवे और राष्ट्रीय राजमार्गों से तत्काल हटाया जाए।
हाईवे निगरानी टीमें: आवारा पशुओं को हटाने के लिए विशेष हाईवे निगरानी टीमें बनाई जाएं।
शेल्टर होम्स में जगह: इन पशुओं को पकड़ कर शेल्टर होम्स में रखा जाए।
आवारा कुत्तों पर सख्ती:
सभी शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, बस और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए।
उन्हें शेल्टर होम में रखा जाए और टीकाकरण के बाद भी उसी इलाके में न छोड़ा जाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए राज्यों, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और नगरपालिकाओं को निर्देश जारी किया है।
अगला कदम: राज्य सरकार की कार्यशैली पर निगाहें
कोर्ट के स्पष्ट और कड़े निर्देश के बाद अब सभी की निगाहें राज्य सरकार की कार्यशैली पर टिकी हुई हैं। NH-19 जैसी व्यस्त सड़कों पर आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार इस आदेश को कितनी गंभीरता से और कितनी जल्दी लागू करती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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