नरेंद्र मोदी के संरक्षण में हुआ बीस हजार करोड़ का घोटाला

दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर हुआ बीस हजार का घोटाला

जयराम रमेश ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, प्रधानमंत्री जी, जो तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने GSPC को लेकर गुजरात को और सारे भारतवर्ष को एक नया सपना दिखाया। के.जी.बेसिन, कृष्णा गोदावरी बेसिन में GSPC की ओर से प्राकृतिक गैस का भंडार मिलने पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 26 जून, 2005 को एक बहुत बड़ी घोषणा की ओर उस प्राकृतिक गैस भंडार का नाम दीनदयाल उपाध्याय भंडार रखा गया और अफसोस की बात है कि 13 साल बाद भारत के सम्मानित बुद्धिजीवी और राजनीतिक नेता दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर 20,000 करोड़ रुपए का एक घोटाला सामने आया और ये घोटाला, ये हम नहीं कह रहे हैं, 31 मार्च, 2015 को CAG ने GSPC पर एक रिपोर्ट पेश की, गुजरात विधानसभा में।

कैग रिपोर्ट से ” गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन” (GSPC) में घोटाले का खुलासा

दूसरी रिपोर्ट 31 मार्च, 2016 को पेश की गई, CAG द्वारा। CAG की दो रिपोर्ट के मुताबिक GSPC ने 15 बैंकों से 20,000 करोड़ रुपया लिया। ठेके, कॉन्ट्रेक्ट पसंदीदा कंपनियों को दिए गए, भारी संख्या में पैसे का खर्च हुआ, पर गैस नहीं निकली। 2007 के चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जी कहा करते थे कि गुजरात में अगर आप नल खोलोगे तो पानी नहीं निकलेगा, उस नल से तेल और गैस निकलेगी, ये उनका एक बहुत बड़ा मशहूर बयान है, 2007 का।

दो CAG रिपोर्ट ने साबित किया है, 20,000 करोड़ रुपया GSPC ने बैंकों से लिया, वापस नहीं लौटाया, गैस नहीं मिली और आज 27 अगस्त, 2018 को GSPC इस स्थिति में है, वित्तिय स्थिति में है कि उसको दिवाला और दिवालियापन कानून, Insolvency and Bankruptcy Code को रैफर करने की जरूरत पड़ गई है।

आज GSPC दिवाला हो गई है। पिछले साल अगस्त के महीने में प्रधानमंत्री के दबाव में ONGC को जबरदस्ती GSPC का प्राकृतिक गैस ब्लॉक खरीदना पड़ा और GSPC को करीब 8,000 करोड़ रुपए की राहत मिली, क्योंकि ONGC से उसको 8,000 करोड़ रुपया मिला। पर 12,000 करोड़ रुपया अभी बैंकों को लौटाना बाकी है।

आरबीआई सर्कुलर के मुताबिक कंपनी को दिवालिया घोषित किया जाना चाहिए

12 फरवरी, 2018 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक सर्क्यूलर निकालता है और ये जानकारी वेबसाईंट पर है, सब लोग जानते हैं। इस पर खूब बहस हुई है, मीडिया में भी और संसद में भी। 12 फरवरी, 2018 को आरबीआई एक सर्क्लूयर निकालता है और इस सर्क्यूलर के मुताबिक 1 मार्च, 2018 को, अगर कोई भी कंपनी को बैंकों को 2,000 करोड़ से ज्यादा लौटाना है और वो डिफाल्ट करता है तो उसको दिवाला घोषित करना चाहिए, 180 दिन के बाद।

27 अगस्त 2018 को दिवालिया घोषित होना चाहिए था

1 मार्च, 2018 से 180 दिन आज बनते हैं और इसलिए आज ये प्रेस वार्ता हो रही है, 27 अगस्त, 2018 को 180 दिन खत्म होते हैं, GSPC को 12,000 करोड़ रुपया बैंकों को लौटाना है, लौटाने की स्थिति में नहीं है और जो सबसे प्रमुख बैंक है, सबसे ज्यादा कर्जा उसी बैंक से लिया गया, वो है स्टेट बैंक ऑफ इंडिया। अभी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आज 5 बजे से पहले GSPC को दिवाला घोषित करना पड़ेगा।

GSPC ने पिछले महीने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को एक दस्तावेज दिया था और ये 15 पन्ने की दस्तावेज की कॉपी है। Gujarat State Petroleum Corporation Debt resolution plan, कर्जे का पुर्नगठन कैसे हो, इस पर कई सुझाव और कई प्रस्ताव GSPC की ओर से एसबीआई को पेश किए गए हैं।

GSPC ने माना है कि वो कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है

सबसे बडी बात ये है कि GSPC ये मानती है कि 12,000 करोड़ रुपए का कर्जा है, वो उसको लौटाने की स्थिति में नहीं है या उसकी माफी होनी चाहिए या उसका पुर्नगठन होना चाहिए और GSPC का एक और प्रस्ताव है कि कुछ ऋण, कुछ कर्जा गुजरात सरकार के विभिन्न कंपनियों में बाँटा जाए। GSPC के नाम पर आप बैंकों से पैसा लेते हैं, जब ऋण वापस देने का मौका आता है, समय आता है और आप कर्जा चुकाने की स्थिति में नहीं है, तो आप अलग-अलग कंपनियाँ को ढूंढते हैं और GSPC ने एसबीआई को कहा है कि गुजरात स्टेट फाईनेशिंयल सर्विसिस (GSFS) और गुजरात स्टेट इनवेस्टमेंट लिमिटिड़ (GSIL) दो ऐसी कंपनियाँ हैं, इस कर्जे का कुछ हिस्सा इन कंपनियों के नाम पर ट्राँसफर किया जाए।

70 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है

मैं नहीं जानता है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इस दस्तावेज पर क्या निर्णय लिया है, पर मैं ये जरुर जानता हूँ कि 70 साल में पहली बार केन्द्रीय सरकार ने हाईकोर्ट में आरबीआई सर्क्यूलर के खिलाफ एक एफिडेविट फाईल किया है। ये जो 12 फरवरी, 2018 का सर्क्यूलर है रिजर्व बैंक का, जिसका मैंने जिक्र किया।

आरबीआई के खिलाफ के केन्द्र गई है अदालत

2 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट में केन्द्र सरकार कहती है कि हम आरबीआई के सर्क्यूलर से सहमत नहीं हैं। ये 180 दिन की समयसीमा बढाई जाए और इसको 360 दिन किया जाए, इसको डबल किया जाए, इसको दोगुना किया जाए। ये एक अद्भुत और अभूतपूर्व घटना है। कभी ऐसा नहीं हुआ कि केन्द्र सरकार आरबीआई के सर्क्यूलर के खिलाफ कोर्ट में जाता है और कोर्ट में दस्तावेज देता है। आरबीआई और सरकार के बीच में विचार-विमर्श होता है, मतभेद होते हैं, बातचीत होती है, हम सब लोग जानते हैं कि आरबीआई नोटबंदी के खिलाफ थी।

स्वतंत्र भारत में पहली बार केन्द्र सरकार आरबीआई सर्क्यूलर के खिलाफ हाईकोर्ट में एक दस्तावेज पेश करती है और उसका एक कारण है GSPC को बचाना। क्योंकि अगर आज ये निर्णय नहीं लिया जाता है तो GSPC एक दिवाला कंपनी घोषित की जाएगी और जो कानून पार्लियामेंट में पारित हुआ है, 2016 में Insolvency और Bankruptcy कोड वो लागू हो जाएगा।

इस घोटाले का बोझ जनता पर पड़ेगा

दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर और जो बड़ी-बड़ी बातें आपने सुनी मुख्यमंत्री के मुँह से, मैं ये कर दूंगा, मैं वो कर दूंगा, किया क्या? बोले बहुत, पर नतीजा 13 साल बाद घोटाला निकला। 20,000 करोड़ रुपए बैंकों से मिले, पसंदीदा कंपनियों को कॉन्ट्रेक्ट दिए गए, गैस नहीं निकला, तेल नहीं निकला। ONGC को जबरदस्ती 8,000 करोड़ रुपए देने पड़े GSPC के गैस ब्लॉक को खरीदने के लिए। उसके बावजूद अभी 12,000 करोड़ रुपया बाकी है। GSPC बिल्कुल किसी स्थिति में नहीं है इस पैसे को लौटाने को और इसका बोझ आम जनता पर आएगा।

तो ये GSPC का घोटाला, राफेल तो है ही पर राफेल के साथ-साथ ये GSPC भी है। बैंकों से खिलवाड़ हुआ है, नवरत्न कंपनी ONGC के साथ खिलवाड़ हुआ है, झूठ बोले गए हैं। मैं सीधा बोलता हूँ, झूठ बोले गए हैं, बड़े-बड़े दावे किए गए हैं। ऐसी कंपनियों को कॉन्ट्रेक्ट दिया गया है गैस के लिए जो कपड़े के धंधे में थे, गुजरात में।

ये CAG की रिपोर्ट में है कि एक कंपनी जो कपड़े के धंधे में थी, उसको ड्रिलिंग का कॉन्ट्रेक्ट दिया गया और एक और कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिया गया जो बार्बेडोज में थी, आप जानते हैं बार्बेडोज और पनामा काफी नजदीक हैं, ज्यादा दूर नहीं हैं। अगर पनामा पेपर है तो CAG ने बार्बेडोज पेपर का जिक्र भी किया है। तो ये सब एक नाटक था, एक खेल था, लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया गया। कुछ साल सफल थे, पर आज 27 अगस्त को खेल खत्म हो चुका है।

प्रधानमंत्री की साख पर एक सवाल

स्टेट बैंक पर दबाव है कि किसी हालत में इस कर्जा पुर्नगठन दस्तावेज पर निर्णय ले लो ताकी GSPC दिवाला घोषित नहीं किया जाए। क्योंकि अगर GSPC दिवाला घोषित किया जाएगा, तो प्रधानमंत्री के ऊपर एक बहुत बड़ा कलंक होगा। क्योंकि एक जमाने में GSPC मुकुटमणी था और इस मुकुटमणी की हालत ये हो गया है कि यहाँ-वहाँ भागदौड़ हो रही है, हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई है कि आरबीआई के सर्क्यूलर के साथ हम सहमत नहीं हैं, 180 दिन की समयसीमा को दोगुना किया जाए।

मैं आपको बता दूं कि आज 27 अगस्त ना केवल GSPC है, और भी कंपनियाँ हैं और उस कंपनी में सबसे बड़ा नाम है अडानी पॉवर, उसका भी भविष्य भी आज तय होने वाला है, उसके लिए मैं अलग से प्रेस वार्ता करुंगा, पर आज मैं GSPC का जिक्र कर रहा हूँ।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर टिकी है सबकी निगाह

आज का दिन महत्त्वपूर्ण दिन है, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर सबकी निगाहें हैं, क्या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कानून के मुताबिक काम करेगा? क्या रिजर्व बैंक का सर्क्यूलर माना जाएगा? क्या प्रधानमंत्री के दबाव में एक बार फिर आरबीआई को कमजोर किया जाएगा? और GSPC को किसी हालत में बचाने के लिए प्रयास किए जाएँगे।

नरेंद्र मोदी के घोषणा के 13 साल बाद सामने आया यह घोटाला

ये बहुत महत्त्वपूर्ण मुद्दा है और इससे प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं पर, प्रधानमंत्री की नीतियों पर, प्रधानमंत्री की नीयत पर कई सवाल उठ खड़े होते हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने कुछ कहा नहीं है, 2005 के बाद और 2007 के बाद। पर आज मैं कहना चाहता हूँ, प्रधानमंत्री जी आप चुप क्यों हैं? 2005 में आप गुजरात से आँध्र प्रदेश गए, आपके कैबिनेट के साथियों के साथ, जून के महीने में और वहाँ बड़ी घोषणा की कि प्राकृतिक गैस का भंडार दीनदयाल उपाध्याय़ के नाम पर हम देश को समर्पित करना चाहते हैं और दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर 13 साल बाद एक महाघोटाला CAG ने जिसका खुलासा किया है, महाघोटाला हमें देखने को मिल रहा है और अभी-अभी कुछ ही महीनों में दिवाली आने वाली है, दिवाली मनाई जाएगी, पर आज GSPC का दिवाला होगा।

क्या स्टेट बैंक में हिम्मत है ?

जो अलग और कंपनियाँ हैं, उसके बारे में मैं आज ज्यादा जिक्र नहीं करुंगा क्योंकि आज मेरा फोकस जो है सिर्फ आज का केन्द्र बिंदु GSPC है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने 2005 में, 2006 में, 2007 में और पिछले साल ONGC पर इतना दबाव डाल कर GSPC को बचाने का पूरा प्रयास किया था और इन सब प्रयासों के बावजूद आज हमें ये देखने को मिल रहा है कि क्य़ा आज देश का सबसे प्रमुख बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, उसमें हिम्मत होगी? बीजेपी के अध्यक्ष पार्लियामेंट में उठकर, खड़े होकर कहते हैं, हम में हिम्मत है। मैं कहना चाहता हूँ कि क्या आज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में हिम्मत है, आज 27 अगस्त, 2018 को GSPC को कानून के मुताबिक दिवाला घोषित करेगा कि नहीं?

ड्रिलिंग बहुत टफ था

एक प्रश्न की जिन कंपनियों को ठेका (Contract) दिया गया उनकी संख्या क्या है, श्री जयराम रमेश ने कहा कि ये 20,000 करोड़ रुपया का ऋण 15 बैंकों से लिया गया। कांट्रेक्ट 4-5 कंपनियों को दिया गया था। सीएजी की रिपोर्ट-दोनों सीएजी के रिपोर्ट 2014 और 2015 के रिपोर्ट में कंपनियों के नाम भी दिये गए हैं और एक कंपनी का नाम है -टफ ड्रिलिंग! ड्रिलिंग बहुत टफ था, टफ ड्रिलिंग नाम था कंपनी का और टफ ड्रिलिंग का अनुभव क्या था? गारमेंट में था। कौन बड़े पूंजीपति टफ ड्रिलिंग के पीछे थे, मैं आज नहीं कहूँगा पर आप जान जाएँगे। टफ ड्रिलिंग एक कंपनी है, बार्बेडोज में एक कंपनी है जीओ सर्विसेज। ये सारी जानकारी सीएजी के रिपोर्ट में दी गई है। मेरा ये कहना है प्रधानमंत्री जी से, आपने सीएजी के रिपोर्ट को खूब इस्तेमाल किया 2-जी और कोयला के मामले में। सीएजी एक बार नहीं, दो बार GSPC के घोटाले के संदर्भ में दो रिपोर्ट निकालता है, गुजरात विधानसभा में पेश होता है, उस पर कोई बहस नहीं, कोई एक्शन नहीं। वास्तविक है, क्योंकि सारा मामला उन्हीं के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया है।

जनता के बीच जाएँगे, अदालत जाएँगे

एक प्रश्न की एसबीआई कंपनी को दिवालिया घोषित नहीं करती है, तो कांग्रेस की उस पर क्या प्रतिक्रिया रहेगी, श्री रमेश ने कहा कि देखिए कानून क्या कहता है, ये जो 12 फरवरी, 2018 का सर्क्यूलर आरबीआई कहता है कि अगर कोई कंपनी 1 मार्च 2018 को डिफॉल्ट में है, 180 दिन के बाद उसको दिवाला घोषित करना जरुरी है। आरबीआई ने कहा, तो आरबीआई के सर्क्यूलर के मुताबिक 27 अगस्त, 2018, आज 5 बजे से पहले जो कोई कंपनी बैंकों से 2,000 करोड़ रुपया से ज्यादा का कर्जा है और वो वापस नहीं लौटा पा रही हैं, डिफॉल्ट हो रहा है, उसको दिवाला घोषित करना अनिवार्य है, कानून के मुताबिक, आरबीआई के मुताबिक।

हम लोग कर क्या सकते हैं? एसबीआई तो सरकारी संस्था है। हम पार्लियामेंट में उठाएंगे, मीडिया में उठाएंगे, पर हम कर क्या सकते हैं? हम कोर्ट में जा सकते हैं कि आरबीआई से ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है, विचाराधीन है और मैंने कहा स्वतंत्र भारत में ये एक मात्र मिसाल है, जहाँ आरबीआई सर्क्यूलर के खिलाफ केंद्र सरकार हाईकोर्ट में जाकर कहती है कि 180 दिन की समय सीमा से हम असंतुष्ट हैं, इसको दोगुना कीजिए।

एक प्रश्न की हाईकोर्ट में याचिका कब दाखिल की गई, श्री जयराम रमेश ने कहा कि अच्छा कौन-कौन सी कंपनियाँ हाईकोर्ट में गई हैं, वो भी सुन लीजिए। ये हाईकोर्ट में जाने के पीछे इंजन किसका है? अडानी पावर का है। तो ये हाईकोर्ट में गए, इलाहाबाद हाईकोर्ट में? मैं समझ सकता हूँ गुजरात हाईकोर्ट, मैं समझता हूँ सुप्रीम कोर्ट में, इलाहाबाद हाईकोर्ट में, वो भी क्यों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सर्क्यूलर के खिलाफ! कभी ऐसा सुना है, कभी ऐसा हुआ है कि केंद्र सरकार आरबीआई के खिलाफ हाईकोर्ट में जाती है और हाईकोर्ट में कहती है कि हम इससे सहमत नहीं है। ये पहली बार और नोटबंदी के बाद।

नोटबन्दी के बाद आरबीआई पर दूसरा आघात है

नोटबंदी ने आरबीआई को बहुत गहरी चोट पहुँचाई है। ये दूसरी मिसाल है जहाँ आरबीआई को, जानबूझकर आरबीआई की टांग काटी जा रही है। इसका मतलब क्या है? आज 5 बजे के पहले एसबीआई क्या करेगी, मैं नहीं जानता हूँ पर आज 27 अगस्त है, कुछ करना है। आज अगर कोई कंपनियां, हाँ सरकार ये कह सकती है कि ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो वो टैक्निकल है, आरबीआई सर्क्यूलर पर कोई भी स्टे नहीं है, कोर्ट ने स्टे भी नहीं दिया है।

GSPC का कर्जा ONGC पर लादा गया

ये आरबीआई सर्क्यूलर आज भी जारी है और ये आरबीआई सर्क्यूलर मेरे लिए नहीं है, वेबसाईंट पर भी है। पैरा आठ में साफ लिखा गया है कि 180 दिन के अंदर अगर चूक होती है, अगर डिफॉल्ट होता है, 1 मार्च को उसको दिवाला घोषित करना जरुरी है और हमने कानून बनाया, पार्लियामेंट में। 2016 में हमने कानून बनाया और देखिए एक और बड़ी बात है अगर GSPC दिवाला घोषित किया जाएगा, तो एक नवरत्न कंपनी ONGC पर कितनी गहरी चोट पहुँचेगी। एक साल पहले प्रधानमंत्री और उनके वफादार सिपाही धर्मेंद्र प्रधान जी ने ONGC को जबरदस्ती 8,000 करोड़ रुपये देकर GSPC के गैस ब्लॉक खरीदना पड़े। ये ONGC के बोर्ड नहीं चाहते थे, पर दबाव था सरकार का, मंत्री का, प्रधानमंत्री का। 8,000 करोड़ रुपये दिए गए और मुझे तो ये समझ में नहीं आता कि जो लोग दीनदयाल उपाध्याय के गुण गाते हैं, जो दीनदयाल उपाध्याय का भजन करते हैं, दीनदयाल उपाध्याय के नाम को लेकर इतना बड़ा घोटाला हुआ है, उनको कुछ शर्म भी नहीं है।

एक अन्य प्रश्न की किसी भी बैंक का कर्जा 2,000 करोड़ से ज्यादा नहीं है, के उत्तर में श्री रमेश ने कहा कि total has to be more than 2,000 Crore. आरबीआई सर्क्यूलर में कहा गया है टोटल कर्जा सभी बैंकों को मिलाकर, एक बैंक के लिए नहीं, सभी बैंकों को मिलाकर अगर 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होगा तो आपको ये बताना पड़ेगा। 12,000 करोड़ रुपया है। एक बैंक के साथ आपका 1,200 करोड़ रुपए हो सकते हैं 1,000 करोड़ रुपए हो सकते हैं पर अगर टोटल 2,000 करोड़ से ज्यादा हैं, तो एक्शन लिया जाएगा।


27 अगस्त को कोंग्रेस सांसद जय राम रमेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर आधारित ( संवाद सूत्र : रिजवान रजा, नई दिल्ली)

Last updated: अगस्त 29th, 2018 by Pankaj Chandravancee

Pankaj Chandravancee
Chief Editor (Monday Morning)
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