लाखों वर्षों से अलग रह रही दो जनजाति बनाते हैं एक जैसी कलाकृति , गौतम अदाणी ने इसे अपने मुख्यालय में लगाया

 अदाणी समूह ने अपने मुख्यालय में गोंडवाना आर्ट लगवाया

गुजरात के अहमदाबाद में  अदानी समूह ने  शांतिग्राम  स्थित अपने मुख्यालय में गोंडवाना आर्ट लगवाया है  जिसे भारत और आस्ट्रेलिया के आदिवासी कलाकारों ने मिलकर तैयार किया है ।  साथ ही इसी तरह के अन्य 48 कलाकृतियां लगाई जाएगी । इस आर्ट ग्रुप का संचालन सेनेग्राफर राजीव सेठी कर रहे हैं ।

उन्होने बताया कि  हिन्द महासागर द्वारा विभाजित दो अलग-अलग आदिवासी समुदायों में अभूतपूर्व तरीके से सांस्कृतिक समानता है । भारत के मध्य प्रदेश स्थित गोंड आदिवासी और आस्ट्रेलिया के वार्लपिरी  आदिवासी समुदाय एक जैसी कलाकृतियाँ बनाते हैं और इसे वे गोंडवाना कहते हैं । वे रेखा और बिन्दु से कलाकृतियाँ बनाते हैं ।

आज से लाखों साल पहले भारत-ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका एक ही भूखंड का हिस्सा थे जिसे गोंडवाना के नाम से जाना जाता है । प्रकृति ने करवटें बदली और गोंडवाना टूट कर कई देश और द्वीपों में बदल गया । लाखों वर्षों के इस भू-खंड के आदिवासी समुदाय एक दूसरे से अलग रह रहे हैं । इनकी भाषा अलग है लेकिन इनमें अब भी सांस्कृतिक समानताओं के अवशेष बचे हुये हैं ।

दो देशों के गोंडवाना कलाकारों से मिले अदानी प्रमुख गौतम अदाणी

मध्य प्रदेश के गोंड और ऑस्ट्रेलिया के वार्लपिरी आदिवासी कलाकारों से मिले अदानी समौ प्रमुख गौतम अदानी 

गोंड और आदिवास कला ने सृजन से सम्‍बंधित अपनी कहानियों को साझा किया और उन्‍होंने रेखाओं और बिंदुओं के जरिये कहानियों का जीवंत वर्णन किया। आदिवासियों के लिए बिंदु (डॉट्स) सपने देखने और क्षेत्र को संदर्भित करता है। गोंड लोगों के लिए ये बिंदु प्राकृतिक दुनिया के साथ आध्यात्मिक जुड़ाव दर्शाते हैं।

गोंड और वार्लपिरी के कला और कौशल संबंधी उनके व्‍यवहार आपस में जुड़े हुए हैं

मध्य प्रदेश के गोंड और ऑस्ट्रेलिया के वार्लपिरी लोग अपने चारों ओर फैली प्रकृति से अवचेतन संबंध महसूस करते हैं। उनके बीच मौजूद विशाल भौगोलिक अंतर के बावजूद कला और कौशल संबंधी उनके व्‍यवहार आपस में जुड़े हुए हैं।

दोनों देशों कि जनजातियाँ एक ही प्राचीन स्थल गोंडवाना का जिक्र करते हैं

गोंडवाना कलाकृति के साथ गोंडवाना कलाकार

भारत के गोंडवाना की गोंड जनजातियों और ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी समुदाय दोनों एक ही नाम के प्राचीन स्‍थान का उल्लेख करते हैं। इस आधार पर राजीव सेठी ने उनके मूल वंशजों के बीच संबंध की खोज की है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में उत्तरी क्षेत्र की यात्रा की। विभिन्न बस्तियों में जाकर उनकी जीवन शैली और स्‍मृतियों के बारे में जाना। यह सुंदर और अछूता इलाका पिटजंटजटजारा,अरेरन्टे, ल्यूरिट्जा, उत्‍तरी वार्लपिरी और योलंगु सहित कई स्वदेशी जनजातियों का निवास स्‍थान है।

प्रख्यात मानवविज्ञानी जेनी इसाक्‍स और आर्ट एक्‍टिविस्‍ट पीटर येट्स के कुशल मार्गदर्शन में,कलाकार ओटो जुंगार्रायी सिम्स और पैट्रिक जपांजार्डी विलियम्स के प्रतिनिधित्व में, ऑस्ट्रेलिया के कुछ क्षेत्रों के दौरे के बाद वार्लपिरी समुदाय के कलाकारों को गोंड कलाकार भज्जू श्याम के साथ मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित किया गया था। सामूहिक रूप से उन्होंने सेठी की मूर्तिकला पर अपनी पहचान दर्ज करते हुए अपनी कला का प्रदर्शन किया, जो स्वयं अपनी विशेषताएं बताती है।

गोंड और उनकी कला भीमबेटका से पूरी तरह से जुड़ी हो सकती है,जो करीब एक लाख साल पहले की मानव बस्ती का दावा करने वाली मेसोलिथिक रॉक-आर्ट साइट है। आदिवासी कला स्वदेशी लोगों के पवित्र परिदृश्य से प्रेरित है और प्राकृतिक विश्वासों एवं जिज्ञासाओं की खोज करने के लिए,एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान की यात्रा करने वाले उनके पूर्वजों के पौराणिक गाथाओं की पुष्टि करती है।

बिंदुओं और रेखाओं के माध्यम से कला को जीवंत बनाते हैं गोंडवाना के कलाकार

सृजन के लिए गोंड और आदिवासी कला अपनी कहानियों से प्रेरणा देती है,उन्हें बिंदुओं और रेखाओं के माध्यम से जीवंत बनाती है। आदिवासियों के लिए,बिंदु सपने देखने और क्षेत्र को संदर्भित करता है। गोंडों के लिए वे, प्राकृतिक दुनिया के साथ आध्यात्मिक जुडा़व दर्शाते हैं। बिंदु परमाणु संबंधी पैतृक,काव्य दृष्टि प्रस्‍तुत करते हैं, क्योंकि अपनी शांत एवं आकर्षक अवस्‍था में गोंडी शमन दुनिया का ही एक छोटा रूप बना जाता है।

पैट्रिक और ओटो ने उत्तरी क्षेत्र में अपने मूल स्थान युएन्दुमू में फैली भूमि से अपनी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। वे वार्लुकुरलंगु आर्टिस्ट अबॉरिजनल कॉरपोरेशन के लिए पेंटिंग बनाते हैं,जो यूएन्दुमू का एक सरकारी कला केंद्र है। मिल्‍की वे और घूमती आकाश गंगाओं के नीचे पानी के कुएं,नृत्‍य करती महिलाओं के पदचिन्‍हों की कहानियां, वार्लपिरी जनजाति की सामूहिक स्मृति में पाए जाने वाली प्राणियों की पहली हलचल उनके मौखिक इतिहास और रिति-रिवाजों के रूप में संरक्षित हैं।

भज्जू श्याम ने गाँव के पुजारियों ‘प्रधानों’ के परिवार में अपनी कला की शुरूआत की ओर बाद में भोपाल में भारत भवन चले गए। अब वह पद्मश्री और गोंड-परधान परंपरा में नवाचारों को लाने वाले एक महत्त्वपूर्ण प्रवक्‍ता हैं,जिसकी पहल उनके दिवंगत चाचा,जनगढ़ सिंह श्याम ने की थी। भज्जू मध्य प्रदेश के जंगलों में किसान परिवार में पले-बढ़े।

गोंड जनजाति में समारोहों और शादियों के दौरान घर की दीवारों को पेंट करने की परंपरा है, जो अब कैनवास पर पेंटिंग करने में विकसित हुई है। इस तरह की पेटिंग में प्रकृति की गहरी सराहना दर्शायी जाती है,जहाँ पेड़-पौधे और जीव-जन्‍तु जीवन के रूपक बन जाते हैं। गोंड किंवदंतियां,विशेष रूप से सृजन से जुड़े मिथक,पेड़,कौओं,मधुमक्खियों और केंचुए को बहुत महत्त्व देती हैं। भज्जू अब इन रूपकों का उपयोग आधुनिक दुनिया की समझ बनाने के लिए करते हैं,जो उनकी कई प्रशंसित पुस्तकों में बखूबी दिखता है।

गोंडवाना कला के बारे में बताते हुए, गौतम अदाणी, चेयरमैन,अदाणी ग्रुप कहते हैं –

“इतिहास हमें आकर्षित करता है, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि कहानियों के माध्‍यम से मैं ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी और भारतीय गोड कलाकारों द्वारा तैयार की गई कहानियों के जरिये 550-मिलियन वर्ष पुराने सुपर-कॉन्टिनेंट, गोंडवाना के बारे में इतना कुछ जान-समझ सकूंगा। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक बंधन को भी दर्शाता है।”

मध्य प्रदेश के गोंड और ऑस्ट्रेलिया के वार्लपिरी में सांस्कृतिक समानताएं हैं

शुरुआत से ही ‘गोंडवाना’ अंतर-सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि के साथ रचनात्मक सहयोग को समझने के लिए एक प्रयोग रहा है। मध्य प्रदेश के गोंड और ऑस्ट्रेलिया के वार्लपिरी लोग अपने चारों ओर फैली प्रकृति से जुड़े अवचेतन संबंध को साझा करते हैं। विशाल भौगोलिक अंतर के बावजूद कला व्‍यवहार के उनके तरीके उनके बीच आपस में जुड़े हुए हैं। उनके बोलने के तरीके अलग हो सकते हैं,लेकिन अपनी कला और अपने गीतों के जरिये वे अपनी कहानियाँ साझा करते हैं।

‘गोंडवाना’कला से प्रेरित दो देशों के संगम के बारे में नवाचार आरंभ करने वाली अदाणी ग्रुप की पहली श्रद्धांजलि है। यह अलग-अलग रूपों में आयोजित होती रहेगी, जो महासागरों और युगों के बीच जारी बहु भाषाओं के बीच होने वाले आपसी संवाद को जारी रखेगी।

अदाणी शांतिग्राम का आर्ट प्रोग्राम , अदाणी ग्रुप की वैश्विक उपस्थिति और इसकी प्रगति में तेजी लाने का प्रयास करता है

अहमदाबाद में अदाणी मुख्यालय स्थित शांतिग्राम का अभूतपूर्व आर्ट प्रोग्राम, अदाणी ग्रुप की वैश्विक उपस्थिति और इसकी प्रगति में तेजी लाने का प्रयास करता है। ग्रुप का विस्तार, रचनात्मक समुदायों के साथ कॉर्पोरेट जुड़ाव और आउटरीच की सुविधा प्रदान करता है। कलाकृतियों के रूप में निश्चित और व्यापक अंतर-अनुशासनात्मक हस्तक्षेप विशेष रूप से शुरू किए गए हैं। वे भारत की सांस्कृतिक प्रतिभा की विरासत को प्रस्‍तुत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग करते हैं। आर्ट प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य डिजाइन वाले इंटरफेस के साथ पारंपरिक शिल्प कौशल के भविष्य को सुनिश्चित करना है। सीनोग्राफरों ने 48 इंस्‍टालेशन को बनाने के लिए न्‍यू मीडिया कलाकारों,वास्तुकारों,इंजीनियरों और कारीगरों को शामिल किया है।

Last updated: नवम्बर 6th, 2019 by News Desk Monday Morning
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