सफर मोतिहारी
संयोग से 25 मार्च को मोतिहारी आने का अवसर मिला विषय एक रिंग सेरेमनी का था। जन्म भी मेरा 25 मार्च को संभवत है । इसलिए मैं होटल पहुँचते ही गाँधी चौक के एक होटल ब्लू डायमंड में पहुँचे और दैनिक कार्यक्रम के पश्चात अपने नियम के तहत पास के हनुमान मंदिर माँ दुर्गा के मंदिर एवं भगवान शिव का दर्शन किया। चंपारण का नाम जहन में काफी दिनों से था लेकिन अवसर नहीं आने का नहीं मिला। पत्रकार होने के नाते मोतिहारी क्या ऐतिहासिक पृष्ठभूमि देखने का मैं अवसर नहीं छोड़ना चाहता था संयोग से पत्रकार बंधुओं रवि गुप्ता भी मेरे सहयोगी बने।
काफी सुंदर शहर है नमोतिहारी बिहार राज्य के पूर्वी चंपारण जिले का मुख्यालय है। यह बिहार की राजधानी पटना से 152 किलोमीटर दूर बिल्कुल नेपाल सीमा से लगा हुआ है। इसे चंपारण जिला के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन में यहाँ चंपा के जंगल हुआ करते थे। इस कारण इसका नाम चंपारण पड़ा है । ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस जिले को काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन काल में मोतिहारी राजा जनक के सम्राज्य का अभिन्न भाग था। स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गाँधी ने तो अपनी राजनीतिक आंदोलन की शुरूआत यहीं से की थी। सत्याग्रह जैसे आंदोलन की शुरुआत भी यहीं से हुई थी जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किए थे। आज भी स्वतंत्र संग्राम के नाम पर यहाँ आने को स्मृतियाँ है।यही चंपारण उनकी कर्मभूमि बना। आज मोतिहारी शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे है। आनेको आईपीएस यहां से शिक्षा ग्रहण करके देश के सेवा में है। दूसरी ओर खानपान के क्षेत्र में मोतिहारी का अपना विशेष स्थान है। नॉनवेज भोजन के लिए यह शहर विख्यात है। मीना बाजार से लेकर गांधी चौक, बस स्टैंड मैं सैकड़ों की तादाद में तरह-तरह के नॉनवेज की स्टाॅल उपलब्ध है। यहां लोग दूर-दराज से आकर जायकेदार भोजन का स्वाद लेते हैं। मटन का ताश ,कबाब खाने वाले से लेकर खाने वाले तक सभी का अदा देखने योग होता है।

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